मीरगंज। शिक्षा विभाग की अनदेखी का नतीजा यह है कि अब अध्यापक पढ़ाई के साथ-साथ विद्यालयों की सफाई भी करने को मजबूर हैं। क्षेत्र के कई विद्यालयों में सफाईकर्मी नियमित रूप से नहीं आते, जिस कारण विद्यालयों का पूरा बोझ शिक्षकों पर ही पड़ रहा है।
प्राथमिक विद्यालय नौसना इसका ताजा उदाहरण है। यहां प्रधानाध्यापक नफीस अहमद और विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र अंजू त्रिवेदी रोजाना सुबह सबसे पहले झाड़ू उठाते हैं। बच्चे के आने से पहले वे कक्षाओं और परिसर की सफाई करते हैं। शिक्षकों का कहना है कि सफाईकर्मी न होने से उन्हें मजबूरीवश यह काम करना पड़ रहा है, जबकि उनका मूल कार्य बच्चों को पढ़ाना है।
स्थिति यह है कि जिन विद्यालयों में शिक्षक खुद सफाई नहीं कर पाते, वहां निजी मजदूरों को बुलाकर पैसे देकर सफाई करानी पड़ती है। ऐसे में शिक्षण कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और पढ़ाई के लिए निर्धारित समय का बड़ा हिस्सा साफ-सफाई में ही निकल जाता है।
इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी अवनीश प्रताप ने बताया कि इस समस्या को लेकर जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा पहले ही पत्र जारी किया जा चुका है, जिसमें सभी सफाईकर्मियों को विद्यालयों में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था। बावजूद इसके अभी भी कई जगह सफाईकर्मी नहीं आ रहे हैं।