संभल, बलरामपुर और मुजफ्फरनगर के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी पैनल के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज सेक्टर में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व उपसचिव नवल किशोर, तीन जिला विद्यालय निरीक्षकों समेत 48 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है।
सतर्कता अधिष्ठान के इंस्पेक्टर हवलदार सिंह यादव की ओर से 23 सितंबर को दर्ज मुकदमे के अनुसार फर्जी नियुक्ति में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है और वेतन के नाम पर 36 लाख से अधिक सरकारी धन का अपव्यय हुआ है। इस प्रकरण में अमरोहा के तत्कालीन डीआईओएस गजेन्द्र कुमार और दो अन्य डीआईओएस गोविन्द राम व मनोज कुमार आर्य के अलावा कई स्कूलों के प्रबंधकों पर भी एफआईआर कराई गई है।
फर्जी नियुक्ति का खुलासा अमित कुमार श्रीवास्तव और शिल्पी केसरी की ओर से हाईकोर्ट में 2023 में दायर याचिका के बाद हुआ था। हाईकोर्ट के 29 मई 2023 के आदेश पर 13 अक्तूबर को अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। एफआईआर के मुताबिक किसी भी चयनित शिक्षक का पैनल सबसे पहले चयन बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड करने के बाद संबंधित जिले के डीआईओएस कार्यालय को भेजा जाता है।
पैनल का सत्यापन करते हुए कार्यभार ग्रहण कराने की जिम्मेदारी संबंधित डीआईओएस की होती है। अभ्यर्थियों विवेक कुमार शुक्ला को विज्ञापन संख्या 2021 के आधार पर प्रशिक्षित स्नातक विज्ञान, राजकुमार को विज्ञापन संख्या 2016 में प्रशिक्षित स्नातक हिंदी और विकास तिवारी को फर्जी अभिलेखों के आधार पर चयनित दिखाते हुए मुजफ्फरनगर के बरला इंटर कॉलेज में नियुक्ति दे दी गई। बाद में चयन बोर्ड से सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई तो पता चला कि पैनल ही फर्जी है। इसमें डीआईओएस गजेन्द्र कुमार और पटल सहायक प्रमोद कुमार शर्मा की सांठ-गांठ सामने आई है। इसी प्रकार डीआईओएस गोविन्द राम और मनोज कुमार आर्य, पटल सहायक पवन लाल, अरविंद कुमार यादव, अंकित श्रीवास्तव एवं राजबली यादव भी मिलीभगत के दोषी मिले हैं। चयन बोर्ड के पूर्व उपसचिव नवल किशोर के खिलाफ पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने और समय से सत्यापन आख्या नहीं भेजने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।