प्रयागराज। केंद्रीय कर्मचारियों को 10 साल से फिटमेंट फैक्टर व मिनिमम वेज पर राहत मिलने का इंतजार है। कर्मचारियों को आठवें वेतन आयोग से उम्मीदें हैं लेकिन आठवें वेतन आयोग की अब तक अधिकृत घोषणा न होने से कर्मचारियों का इंतजार बढ़ता जा रहा है और वे सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं।
सातवां वेतन आयोग आने पर फिटमेंट फैक्टर व मिनिमम वेज लेकर काफी विवाद हुआ था। दरअसल, सातवें वेतन आयोग से पहले कर्मचारियों का मिनिमम वेज यानी बेसिक सात हजार रुपये था।
सातवां वेतन आयोग लागू होने पर महंगाई भत्ता (डीए) आदि जोड़कर मिनिमम वेज 18,000 रुपये कर दिया गया, जिसका जिसका फिटमेंट फैक्टर 2.57 था। यह फैक्टर नए मिनिमम वेज में पुराने बेसिक वेतन से भाग देने पर निकाला गया।
इस फॉर्मूले के आधार पर कर्मचारियों का वेतन निर्धारित कर दिया गया। सातवें वेतन आयोग में तय किया गया था कि छठवें वेतन आयोग में जिस कर्मचारी को जो बेसिक है,
कर्मचारी इसके लिए तैयार नहीं थे क्योंकि इससे उन्हें नुकसान हो रहा था। उनकी मांग थी कि सात हजार की बेसिक वाले कर्मचारी का मिनिमम वेज 24,000 हजार रुपये और फिटमेंट फैक्टर 3.42 निर्धारित किया जाए।
इस मसले पर कर्मचारियों ने 11 जुलाई 2016 से बेमियादी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था लेकिन ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (जेसीएम) की बैठक में मिनिमम वेज व फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने का आश्वासन मिलने पर हड़ताल स्थगित कर दी गई थी।
कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल इंप्लाइज एंड वर्कर्स के राष्ट्रीय संगठन सचिव सुभाष चंद्र पांडेय के अनुसार जेसीएम की बैठक में आश्वासन दिया था कि इस मसले पर उच्चस्तरीय समिति बनाई जाएगी लेकिन न तो समिति बनी और न ही मिनिमम वेज में कोई वृद्धि हुई।