लखनऊ, वसं। बच्चों में अस्थमा के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है और करीब 14 प्रतिशत बच्चे इसकी चपेट में हैं। अस्थमा प्रतिवर्ष बच्चों के स्कूल न जा पाने एवं अस्पताल में भर्ती होने का सबसे प्रमुख कारण है। यह जानकारी केजीएमयू पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने दी। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी शिरकत की।
डॉ. वेद गुरुवार को केजीएमयू के शताब्दी भवन फेज-2 के प्रेक्षागृह में 59वें आईसीएएआईकॉन सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की तरफ से कार्यक्रम हुआ। डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि बच्चों में अस्थमा के मुख्य कारण आनुवंशिकी व अन्य कारण धूल, पराग, पालतू जानवरों की रूसी और वायु प्रदूषण है। कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद, पद्मश्री डॉ. दिगंबर बेहरा, डॉ. राजकुमार, डॉ. सुरेश कूलवाल, डॉ. एबी सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सूर्यकांत रहे।
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स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा किअस्थमा, एलर्जी व फेफड़ों से संबंधित बीमारियों की रोकथाम के लिए सरकार काफी काम कर रही है। वायु प्रदूषण से बीमारियों का खतरा बढ़ता है। अस्थमा भी एक प्रकार की फेफड़े की एलर्जी है, जो कि गैर संचारी रोगों में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी में से एक है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अस्थमा-एलर्जी से बच सकते हैं। अस्थमा से प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 4.5 लाख मरीजों की मृत्यु होती है। इनमें से ज्यादातर मृत्यु को रोका जा सकता है।
 

