लखनऊ। बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक रचनात्मक पहल से छात्रों का स्क्रीन टाइम कम करने की कवायद शुरू की गई है। यह छात्रों की वैचारिक व तार्किक समझ को विकसित करने के साथ ही किताबों के प्रति रुचि बढ़ाएगी।
इसके तहत छात्रों को किताब पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। प्रदेश के सभी राजकीय जिला पुस्तकालयों को यह निर्देश दिया गया है कि वे स्कूली छात्रों को प्रवेश की अनुमति देंगे। हर छात्र को प्रति सप्ताह अनिवार्य रूप से एक किताब पुस्तकालय से जारी की जाए। यह आउट ऑफ सिलेबस होगी, जैसे कहानी, उपन्यास, जीवनी, प्रेरणादायी साहित्य आदि।
छात्रों द्वारा इन किताबों का सारांश विद्यालय की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत किया जाएगा। इससे उनका अभिव्यक्ति कौशल भी बढ़ेगा। इसमें सर्वाधिक किताब पढ़ने वाले छात्र को प्रशंसा पत्र भी दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने निर्देश दिया है कि विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण में राजकीय जिला पुस्तकालय या अन्य का भ्रमण कराया जाए।
उन्होंने कहा है कि हर विद्यालय की एक स्कूल मैगजीन तैयार कराई जाए। इसका संपादन छात्रों द्वारा खुद किया जाए। इससे उनकी लेखन क्षमता और सृजनशीलता बढ़ेगी। छात्रों को रचनात्मक बुकमार्ग बनाने के लिए प्रेरित और अच्छा करने वाले को पुरस्कृत भी करें। उन्होंने सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, उप शिक्षा निदेशक, सहायक शिक्षा निदेशक, डीआईओएस व बीएसए को इसे प्रभावी बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने सुझाव दिया है कि विद्यार्थियों के प्रोजेक्ट कार्य के लिए किताबों का संदर्भ लेने के लिए प्रोत्साहित करें। किताबों पर चर्चा की जाए, उनको विचार व कहानियां लिखने के लिए प्रेरित करें। किताबों पर आधारित प्रश्नोत्तरी, निबंध, वर्तनी प्रतियोगिता, दीवार पत्रिका आदि का आयोजन किया जाए।
बुके नहीं सिर्फ बुक का चलाया जाएगा अभियान
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि पाठकों व छात्रों में किताब पढ़ने की रुचि जारी करने के उद्देश्य से बुके नहीं सिर्फ बुक अभियान शुरू किया जाए। सभी विद्यालयों व राजकीय जिला पुस्तकालयों में होने वाली प्रतियोगिताओं व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के विजेताओं, प्रतिभागियों को ट्रॉफी या स्मृति चिह्न की जगह किताबें दी जाएं। विद्यालय व पुस्तकालय के सभी शिक्षक-कर्मचारी खुद भी किताब पढ़ें ताकि छात्रों में इसके प्रति रुचि पैदा हो।

