04 December 2025

8वें वेतन आयोग के तहत डीए-डीआर का मर्जर नहीं होने से कर्मियों-पेंशनरों को होगा नुकसान

 

प्रयागराज। आठवें वेतन आयोग के तहत महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) को क्रमशः मूल वेतन व मूल पेंशन में मर्ज न किए जाने का कोई प्रावधान न होने से कर्मचारियों और पेंशनरों को नुकसान की आशंका सता रही है। इसका असर वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) और भत्तों पर भी पड़ेगा।



गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस वर्मा का कहना है कि 30 नवंबर 2025 को संसद में दिए गए बयान में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने आठवें वेतन आयोग में डीए और डीआर को क्रमशः मूल वेतन व मूल पेंशन में मर्ज किए जाने से इनकार कर दिया है, जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और इससे कर्मचारियों और पेंशनरों को काफी नुकसान होगा।


केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद संभावित 60 फीसदी डीए/डीआर जोड़कर मूल वेतन/पेंशन बनने की उम्मीद भी खत्म हो गई है। भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की पेंशन निर्धारण पर भी इसका

असर पड़ेगा और पेंशन में भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। साथ ही मकान किराया भत्ता (एचआरए) और बच्चों की शिक्षा भत्ता आदि की गणना पर भी इसका असर देखने को मिलेगा।


अगर मूल वेतन में डीए का मर्जर होता तो मूल वेतन बढ़ जाता और भत्तों में भी उसी अनुपात में वृद्धि होती लेकिन मर्जर न होने से भत्तों में बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं, पेंशन का निर्धारण भी मूल वेतन के आधार पर किया जाता है।


एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस वर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार बजट का अधिकांश भाग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के मुद्दों और राजनैतिक फायदे के लिए प्रचार पर खर्च कर रही है।


कर्मचारियों और वर्तमान पेंशनर्स को बोझ समझ रही है, जो अन्याय है। ऐसा लगता है कि शासन की मंशा कर्मचारियों और पेंशनरों को भारी नुकसान पहुंचाने की है।