कल हुई कैबिनेट के प्रमुख फैसले, बढ़ाया कर्मियों का मानदेय, और भी लिए यह फैसले

लखनऊ : आशा कार्यकर्ता व आशा संगिनियों के मानदेय में 750 रुपये की बढ़ोतरी किए जाने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इन्हें अब तक केंद्र सरकार की ओर से 1500 रुपये और राज्य सरकार की ओर से 750 रुपये मानदेय दिया जाता था। अब राज्य सरकार ने अपने हिस्से में 750 रुपये की और बढ़ोतरी कर दी है। करीब 1.70 लाख आशा कार्यकर्ता व आशा संगिनियों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।


आशा कार्यकर्ता व आशा संगिनियों को इस मानदेय के अलावा प्रसव व टीकाकरण इत्यादि कराने पर प्रोत्साहन राशि अलग से दी जाती है। केंद्र सरकार से 1500 रुपये मानदेय और राज्य सरकार से 1500 रुपये मानदेय के अलावा प्रोत्साहन राशि अलग से मिलेगी। अभी तक आशा कार्यकर्ता व आशा संगिनियां प्रति माह कम से कम 5250 रुपये तक कमा लेती थी, अब मानदेय बढ़ोतरी के बाद वह छह हजार रुपये तक कमा सकेंगी।

प्रदेश में 1.56 लाख आशा वर्कर ग्रामीण क्षेत्रों में और सात हजार आशा वर्कर शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। वहीं सात हजार आशा संगिनियां भी कार्य कर रही हैं। उधर दूसरी ओर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जनपद चंदौली में उपकेंद्र भवनों का ध्वस्तीकरण किए जाने की भी अनुमति भी दे दी गई है।

कैंसर अस्पताल में पीजीआइ की दर पर होगी खरीद : कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में जब तक जेम पोर्टल के माध्यम से खरीद की व्यवस्था लागू नहीं होती, तब तक दवा सहित अन्य जरूरी उपकरण इत्यादि का क्रय संजय गांधी पीजीआइ लखनऊ के चालू दर अनुबंध पर किया जा सकेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी गई है।



चिकित्सकों के लेवल टू पदों पर सीधी भर्ती के लिए छूटे विषयों को किया गया शामिल
प्रादेशिक चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्सकों के लेवल टू पदों पर सीधी भर्ती के लिए छूटे हुए विषयों को शामिल करने को मंजूरी दे दी गई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नियमावली 2020 में संशोधन पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। विषयों के छूटने की वजह से उन विषयों के विशेषज्ञ डाक्टरों की भर्ती नहीं हो पा रही थी। उधर लेवल वन से लेवल टू में जाने के लिए समय सीमा में भी संशोधन को मंजूरी दे दी गई है।


आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का 500 रुपये मानदेय बढ़ा
योगी कैबिनेट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के मानदेय में 500 रुपये तक प्रति माह की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कोरोना संक्रमण के दौरान अच्छा काम करने के लिए 500 रुपये महीना के हिसाब से चार महीने की प्रोत्साहन राशि यानी दो हजार रुपये भी प्रदान करेगी।

भातखंडे संस्थान बनेगा राज्य संस्कृति विवि
भातखंडे संगीत संस्थान (सम विश्वविद्यालय) को राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है। संस्कृति विभाग के इस प्रस्ताव को शनिवार को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी। विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्रम ने बताया कि संस्थान को राज्य विवि बनाने संबंधी इस अध्यादेश के तहत भातखंडे राज्य संस्कृति विश्वविद्यालय के पहले कुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। उसके बाद अगले कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी।


वर्ष 2022-23 के लिए शराब की दुकानों का होगा नवीनीकरण
लखनऊ: वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है। नए वित्तीय वर्ष के लिए सबसे पहले देशी-विदेशी मदिरा, बीयर, भांग की दुकान और माडल शाप का वर्ष 2022-23 के लिए नवीनीकरण किया जाएगा। उसके बाद जो दुकानें बचेंगी, उनका व्यवस्थापन ई-लाटरी के माध्यम से किया जाएगा।

दुकानों की दो चरणों में ई-लाटरी के बाद सभी दुकानों का व्यवस्थापन तीन चरणों में ई-टेंडर के अनुसार किया जाएगा। वर्ष 2021-22 में स्वीकृत थोक लाइसेंस के इच्छुक लाइसेंसधारकों द्वारा वर्ष 2022-23 की निर्धारित देयताओं और अन्य शर्तों एव प्रतिबंधों से सहमति पर पिछले वर्ष की तरह नवीनीकरण किया जाएगा। एलएल-16 और एफएल-17 लाइसेंस की फीस का निर्धारण किया गया है। एफएल-16 का वार्षिक लाइसेंस शुल्क 50 हजार और एफएल-17 के लिए 25 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। देशी शराब की लाइसेंस फीस में कोई वृद्धि नहीं की गई है। विदेशी शराब, बीयर, भांग की फुटकर बिक्री की दुकानों और माडल शाप की लाइसेंस फीस 7.5 प्रतिशत बढ़ाई गई है। बार लाइसेंस और माइक्रो ब्रिवरी के लिए एक साथ आवेदन करने पर सम्मिलित लाइसेंस फीस में 50 हजार रुपये की छूट पहले वर्ष में दी जाएगी। देशी शराब पर लगाए गए पांच रुपये कोविड सेस को हटा दिया है।


राज्यकर्मियों को पांच लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा
लखनऊ : राज्य कर्मचारियों व पेंशनर्स को अब पांच लाख रुपये तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी। पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर कर्मचारियों को यह सहायता राशि दी जाएगी। वहीं, दूसरी ओर अब मेडिकल कालेजों और संजय गांधी पीजीआइ जैसे विशिष्ट संस्थानों में भी कर्मचारियों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। अभी तक सिर्फ जिला अस्पतालों में उन्हें यह सुविधा दी जाती थी। अब इसका दायरा बढ़ा दिया गया है। इस फैसले से 16 लाख राज्य कर्मचारियों और 12 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा।

उप्र सरकारी सेवक (चिकित्सा परिचर्या) नियमावली-2011 यथा संशोधित 2016 (द्वितीय संशोधन) में आवश्यक संशोधन किए जाने को हरी झंडी दे दी गई है। राज्य कर्मचारियों व पेंशनर्स को नए साल पर सरकार की ओर से बड़ा तोहफा दिया गया है।

14 मेडिकल कालेजों के संचालन के लिए सोसाइटी : निर्माणाधीन 14 मेडिकल कालेज और इससे संबद्ध जिला चिकित्सालय व रेफरल अस्पतालों के संचालन के लिए सोसाइटी के गठन को भी कैबिनेट से मंजूरी दे दी गई है। सोसाइटी के माध्यम से ही इन मेडिकल कालेजों के संचालन के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे। यह अन्य चिकित्सा संस्थानों के कार्य परिषद की तर्ज पर ही कार्य करेगी।

स्कूली बसों में क्षमता से डेढ़ गुणा बच्चे बैठाए जा सकेंगे

प्रदेश सरकार ने स्कूल प्रबंधकों को राहत देते हुए स्कूल बसों की सीटों की क्षमता का डेढ़ गुणा तक बच्चे लाने-ले जाने की छूट प्रदान कर दी है। यानी 42 सीटर स्कूल बस में 63 बच्चे आ-जा सकेंगे। सरकार ने बड़ी स्कूल बस में दो व मिनी व मिडी बसों में एक-एक आपातकालीन द्वार बनाने अनिवार्य कर दिए हैं। साथ ही अनुबंध पर चल रही स्कूली बसों की भी वैधता 10 साल से बढ़ाकर 15 साल कर दी गई है। शनिवार को कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश मोटरयान नियमावली में जरूरी संशोधन को मंजूरी दे दी है। विद्यालयी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नियमावली में बदलाव किया है। अभी तक स्कूल बस की वैधता 15 साल होती थी जबकि अनुबंध पर संचालित स्कूल बसों की वैधता 10 साल थी। अब इनकी वैधता भी 15 साल कर दी है। सरकार ने भी बड़ी बसों में दो आपातकालीन द्वार बनाने के नियम बना दिए हैं। इसमें प्रवेश द्वार के विपरीत पहला आपातकालीन द्वार बनाया जाएगा। सरकार ने स्कूली बसों में दूरी के हिसाब से किराया तय करने का नया फामरूला जारी कर दिया है। प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह ने इसके आदेश सभी जिलाधिकारियों को भेज दिए हैं। यह आदेश कक्षा एक से लेकर 12 तक के सभी स्कूलों में स्कूल के नाम से पंजीकृत बसों पर ही लागू होगा। सरकार ने फामरूला तय करते समय बस पर होने वाले रख-रखाव के खर्च को मानक बनाया है। वर्ष 2020-21 को आधार वर्ष मानकर 42 सीटर बसों के रख-रखाव का खर्च 1648 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा तय किया है। इसी राशि के आधार पर स्कूल बस छात्रों से किराया ले सकेंगे। पांच किलोमीटर तक निर्धारित शुल्क का 50 प्रतिशत, पांच से 10 किलोमीटर तक निर्धारित शुल्क का शत-प्रतिशत व 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करने पर छात्रों को निर्धारित शुल्क का 25 प्रतिशत किराया ज्यादा देना होगा।

सचिवालय भत्ता बहाल

विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने सचिवालय के कार्मिकों का सचिवालय भत्ता बहाल करने का फैसला किया है। इस फैसले से उत्तर प्रदेश सचिवालय और उससे समकक्षता प्राप्त विभागों/कार्यालयों के लगभग 10 हजार कर्मचारियों को फायदा होगा। कार्मिकों के वेतनमान के अनुसार सचिवालय भत्ता 600 से 2200 रुपये प्रतिमाह दिया जाता था। सरकार ने कोरोना महामारी से उत्पन्न आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए पिछले साल 12 मई 2020 से सचिवालय भत्ता समाप्त कर दिया था। उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया है।