बजट में आयकर स्लैब न बढ़ने से कर्मचारी नाखुश, संगठनों ने कुछ इस तरह दी अपनी प्रतिक्रिया...


लखनऊ। प्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने आम बजट को शिक्षकों, कर्मचारियों व मध्यम वर्ग के लिए निराशाजनक बताया है। आयकर सीमा का स्लैब न बढ़ाने, सरकारी नौकरियों के रिक्त पदों को भरने और पुरानी पेंशन बहाली पर बात तक न होने से नाराजगी जतायी। कुछ संगठनों ने कर्मचारी हितों से जुड़े मुद्दों पर वित्त मंत्री से पुनर्विचार करने की भी मांग की है। संगठनों ने कुछ इस तरह दी अपनी प्रतिक्रिया...



आम आदमी व कर्मचारियों के हित में नहीं बजट राज्य कर्मचारी एसोसिएशन उत्तर प्रदेश की बैठक में अध्यक्ष हरिशरण मिश्र ने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब में परिवर्तन की तीन वित्तीय वर्ष से प्रतीक्षा हो रही थी, लेकिन इस बार भी निराशा ही मिली। संविदा कर्मचारियों और दैनिक वर्क चार्ज कर्मचारियों को नियमित करने और उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सेवानिवृत्ति के बाद जीवन यापन के लिए पैकेज का प्रावधान नहीं है। संघ के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष अरुण पांडे और महामंत्री महेंद्र दीक्षित ने कहा कि सरकारी नौकरियों को भरने के लिए कोई उपाय नहीं है।

पुरानी पेंशन बहाली पर चर्चा तक नहीं एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अटेवा के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु' ने कहा कि उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले निर्णय किए गए हैं। देशभर के 70 लाख शिक्षकों, कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली पर कोई चर्चा नहीं की गई। शिक्षकों, कर्मचारियों को टैक्स में कोई छूट न देकर बड़ा आघात पहुंचाया है। अटेवा के प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजयति त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षकों, कर्मचारियों के लिए यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक रहा है। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि बचत सीमा को भी नहीं बढ़ाया गया और न ही कोरोना योद्धाओं के हित में कोई कदम उठाए गए

स्लैब नहीं बदला, बजट निराशाजनक जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ ने कहा कि वर्ष 2022-23 का बजट सरकारी कर्मचारियों के लिए अत्यंत निराशाजनक है। आयकर स्लैब में परिवर्तन न होने से चतुर्थ श्रेणी वर्ग के कर्मचारी भी आयकर के दायरे में आ जाएंगे। यदि स्लैब बढ़ाया जाता कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ती। साथ ही खर्च बढ़ता और सरकार को अप्रत्यक्ष टैक्स मिलता। जीडीपी भी बढ़ती। इसलिए यह बजट निराशाजनक है।

कर्मचारियों के लिए बजट में कुछ नहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (सेवारत कर्मचारी) गुट के अध्यक्ष अमित यादव ने कहा कि देश में लाखों की संख्या में चतुर्थ श्रेणी के पद खाली हैं, उस पर भी कोई विचार नहीं किया गया और न ही आउटसोर्सिंग के संबंध में कोई विचार किया गया। संघ के महामंत्री रामेंद्र कुमार के अनुसार आपकर में कोई छूट नहीं दी गई है। इससे लाखों कर्मचारी व मध्य वर्ग मायूस है।

निजीकरण को बढ़ावा देना जनहित में नहीं राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने अध्यक्ष सुरेश महामंत्री अतुल मिश्र प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि आयकर बढ़ाने के मामले में बजट से निराशा हुई है। वहीं निजीकरण, आउटसोसिंग की जगह स्थायी रोजगार सृजन पर ध्यान नहीं दिया गया, क्योंकि सरकार ने सरकारी क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने का फैसला किया है।

इप्सेफ ने कहा, बजट से निराशा इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी मिश्र व महासचिव प्रेमचंद्र ने बजट को निराशावादी बताते हुए पूंजीवादी व्यवस्था का बताया है। इप्सेफ के नेताओं ने 10 लाख रुपये तक की छूट, पुरानी पेंशन बहाली व फ्रॉज डीए के भुगतान की मांग पर वित्त मंत्री से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। बजट में संशोधन की भी मांग

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बजट को 25 साल के विकास का खाका बताया। इसमें युवाओं के लिए रोजगार, गरीबों के लिए घर, विद्यार्थियों के लिए डिजिटल यूनिवर्सिटी जैसी सुविधाएं हैं। किसानों के लिए एमएसपी को सुविधा दी गई है तो इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी जोर दिया गया है। संयुक्त परिषद द्वारा वित्त मंत्री को भेजे गए 22 प्रस्तावों में से आठ बजट में शामिल हैं। उन्होंने परिषद के सुझाव पर 80 सी के अंतर्गत बचत सीमा बढ़ाकर तीन लाख करने, सीनियर सिटीजन को राहत देने, कोविड का इलाज सस्ता करने और इस पर खर्च की टैक्स मुक्त करने के प्रस्तावों को शामिल करने को मांग की है।

'स्वास्थ्य क्षेत्र को नहीं मिला बढ़ावा' फार्मासिस्ट फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है। उम्मीद थी कि कोविड को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कुछ प्रावधान किए जाएंगे। • लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर वित्त मंत्री ने कुछ नहीं कहा। आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ। कर्मचारियों की मांग थी कि 10 लाख तक आपको करमुक्त किया जाए लेकिन निराश ही हाथ लगी।