संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तीन अभ्यर्थियों की याचिका में उठाया गया मुद्दा ‘बहुत जटिल’ है। इन अभ्यर्थियों ने यूपीएससी-2021 में प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन कोविड संक्रमित पाए जाने के कारण मुख्य परीक्षा में सभी पेपर नहीं दे पाए थे। वे परीक्षा में बैठने का एक मौका देने की मांग कर रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यूपीएससी को नतीजे आने से पहले उन्हें परीक्षा में बैठने का अतिरिक्त मौका देने या उन पेपर को देने की कोई व्यवस्था करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है, जिनमें वे नहीं बैठ पाए थे। यूपीएससी के वकील ने जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ से कहा, मुङो लगता है कि यह मुद्दा बहुत जटिल है। कोई भी निर्णय लेने से पहले मुङो निर्देश लेने होंगे और आपके समक्ष सभी पहलुओं को पेश करना होगा। पीठ ने मामले पर सुनवाई के लिए 21 मार्च की तारीख तय कर दी और कहा कि अगली सुनवाई से पहले सभी पक्ष हलफनामा दायर करें। तीन में दो याचिकाकर्ता शुरुआत के कुछ पेपर देने के बाद मुख्य परीक्षा में नहीं बैठे थे। तीसरा अभ्यर्थी कोविड के कारण किसी भी पेपर में नहीं बैठ पाया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि उन्होंने याचिका की प्रति प्रतिवादियों-केंद्र सरकार और यूपीएससी को दी है। यूपीएससी के वकील ने अदालत से कहा कि साक्षात्कार अप्रैल में शुरू होने की संभावना है।
बिहार व यूपीएससी को नोटिस
जाब्यू, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर बिहार सरकार और यूपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ये नोटिस चीफ जस्टिस एनवी रमना, एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की पीठ ने नरेन्द्र धीरज की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए।