टीके के लिए किसी को भी बाध्य नहीं कर सकते

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि किसी भी व्यक्ति को कोरोना के खिलाफ टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके साथ कोर्ट ने केंद्र से टीकाकरण से होने वाली प्रतिकूल असर वाली घटनाओं पर आंकड़े सार्वजनिक करने को कहा है।



जस्टिस एल नागेश्वर राव व बीआर गवई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता व अखंडता की रक्षा की गई। कोरोना के मामले कम रहने तक सार्वजनिक क्षेत्रों में बिना टीकाकरण वाले लोगों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध सामग्री और विशेषज्ञों के विचारों के आधार पर, वर्तमान वैक्सीन नीति को स्पष्ट रूप से मनमाना व अनुचित नहीं कहा जा सकता। पीठ ने कहा कि कोरोना पीड़ितों की संख्या कम रहने तक, हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाए और सार्वजनिक क्षेत्रों तक पहुंच पर गैर-टीकाकरण वाले व्यक्तियों पर कोई प्रतिबंध न लगाए। कोर्ट ने भारत संघ को लोगों के डाटा से समझौता किए बिना सार्वजनिक रूप से सुलभ प्रणाली पर जनता और डाक्टरों से टीकों की प्रतिकूल घटनाओं पर रिपोर्ट प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया।

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