यूपी में लंबे इंतजार के बाद मेहरबान हुआ मानसून कई परिवारों के लिए मौत बनकर आया। गुरुवार शाम से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में 23 लोगों की जान ले ली। सबसे बड़ा हादसा लखनऊ में हुआ। यहां भारी बारिश के कारण शुक्रवार तड़के कैंट इलाके में दिलकुशा कॉलोनी के पास सैन्य परिसर की निर्माणाधीन चहारदीवारी ढह जाने से दो बच्चों समेत एक ही परिवार के नौ लोगों की दबकर मौत हो गई। हादसे के शिकार सभी लोग झांसी के रहने वाले थे। मृतकों में दंपति और उनके दो बच्चे भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए परिजनों के लिए चार लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है।
बारिश के कारण उन्नाव के असोहा में कोठरी गिरने से दो भाई और एक बहन ने दम तोड़ दिया। दो अन्य लोगों की भी मौत हुई। फतेहपुर के बिंदकी में अलग-अगल जगह कच्चे मकान गिरने से तीन किसानों की जान चली गई। प्रयागराज के सराय ममरेज थाना क्षेत्र के छतौना गांव में शुक्रवार दोपहर दीवार गिरने से दो मासूम जिंदा दफन हो गए। कानपुर में बारिश से भरे जूही खलवा पुल में डूबकर एक की मौत हो गई। रायबरेली और सीतापुर में दीवार गिरने से एक बच्चे समेत एक व्यक्ति की मौत हो गई। गोंडा में आकाशीय बिजली गिरने से एक व्यक्ति की जान चली गई।
झांसी का था लखनऊ में हादसे का शिकार परिवार
झांसी के पछवारा निवासी कई मजदूर लखनऊ आकर काम कर रहे हैं। इनमें शामिल पप्पू (50) एक ठेकेदार के साथ कैंट आया था। यहां ठेकेदार ने सैन्य परिसर में निर्माण के लिये कई मजदूरों की जरूरत बताई थी। इस पर पप्पू अपने परिवार और कई रिश्तेदारों को चार माह पहले यहां ले आया था। यह सभी सेना की दीवार के पास झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। चंद कदम पर उनका काम भी चल रहा था। स्थानीय लोगों के मुताबिक तड़के करीब साढ़े तीन बजे अचानक चीख पुकार मची तो वे लोग वहां पहुंचे। देखा तो दीवार ढह गई थी और उसमें कई लोग दबे हैं। सेना के जवान ने ही इसकी सूचना आला अफसरों और पुलिस को दी। इस दौरान हादसे से बचे दूसरे मजदूर साथियों को मलबे से निकालने में जुटे थे।
अफरातफरी के बीच राहत कार्य
तेज बरसात की वजह से राहत कार्य में भी दिक्कत हुई। कमिश्नर डा. रोशन जैकब, नगर निगम और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे। सेना के जवानों की मदद से मलबे में दबे लोगों को बाहर निकाला गया। इनमें कई मरणासन्न हो चुके थे। सभी को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां नौ लोगों को मृत घोषित कर दिया गया। इनमें दम्पति के अलावा तीन महिलायें भी है।
35 सालों का रिकॉर्ड लखनऊ में बारिश ने तोड़ा
मौसम विभाग का दावा है कि अभी एक सप्ताह बादल छाए रहेंगे। शनिवार को फिर तेज बारिश के आसार हैं। लखनऊ में अब तक सामान्य वर्षा 617.8 मिमी है, जबकि अब तक सिर्फ 397.3 मिमी हुई है। सीजन के हिसाब से मानसून विदा होने में अभी 15 दिन और हैं। मंगलवार रात मानसून एकाएक सक्रिय हुआ, जिसके बाद मंगलवार रात से ही तेज बारिश होने लगी। यह क्रम बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार की सुबह तक लगातार जारी रहा। बीते 72 घंटों में लखनऊ में 280 मिमी बारिश दर्ज की गई।
इस बार भी देर से लौटेगा मानसून
सितंबर में अमूमन इतनी बारिश नहीं देखी जाती। ये मानसून के लौटने का समय होता है, लेकिन इस बार जोरदार बारिश हो रही है। ऐसे में अनुमान है कि मानसून लगातार दूसरे साल देरी से लौटेगा। पिछले साल भी मानसून 15 अक्तूबर के आसपास लौटा था। साठ साल में लगातार दूसरे साल मानसून के देरी से लौटने का अनुमान है। साल 1960 में आखिर बार मानसून देर से विदा हुआ था। मौसम विभाग के मुताबिक 1901 के बाद ऐसा चौथी बार होगा।
सितंबर में भारी बारिश के प्रमुख कारण
मौसम विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक 1901 के बाद ऐसा चौथी बार होगा, जब सितंबर में इतनी बारिश होगी। साल 1917 में सिर्फ सितंबर माह में 285.6 मिमी बारिश हुई थी। मौसम विज्ञानी कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते बंगाल की खाड़ी में सितंबर के दौरान दो-तीन बार कम दबाव का क्षेत्र बना। इसके बाद गहरा विक्षोभ पैदा हुआ। बारिश वाले बादलों की गतिविधियां एकाएक उत्तर से लेकर पूर्वी तट तक सक्रिय हो गईं। मौसम विज्ञानी मानते हैं कि अब ऐसा बार-बार हो सकता है। जब भी लो प्रेशर का ऐसा क्षेत्र बनता है तो असर 10 दिनों तक आमतौर पर रहता है।
पहला कारण : प्रशांत महासागर के ऊपर बना अल नीनो का प्रभाव। इसने मानसून को दबाया और जुलाई में कम बारिश हुई। उसी समय हिन्द महासागर में मानसून के अनुकूल वातावरण तैयार हुआ।दूसरा कारण : बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाब का क्षेत्र। इसके लगातार बनने की वजह से लंबे समय तक भारी बारिश होती है। सितम्बर में इसका असर दिखाई दे रहा है।तीसरा कारण : मौसम विभाग के मुताबिक लो प्रेशर वाला एक सिस्टम 10 दिनों तक एक्टिव होता है। इसके लगातार बनने की वजह से सितंबर महीने में तेज बारिश होती है।
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