कॉमन आईटीआर : गलत फॉर्म चुनने का डर होगा खत्म, बचेगा समय


आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरना सामान्य आयकरदाता के लिए कठिन कार्य माना जाता है। 7 अलग-अलग फॉर्म होने से रिटर्न भरते समय सबसे बड़ी समस्या सही फॉर्म के चयन में आती है। आयकरदाताओं की इस समस्या के सामाधान के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आईटीआर-7 को छोड़कर बाकी सभी फॉर्म को मिलाकर एक कॉमन आईटीआर फॉर्म लाने का प्रस्ताव रखा है।





सीबीडीटी ने इस पर 15 दिसंबर, 2022 तक सुझाव मांगा है। उम्मीद है कि 2023-24 के बजट में कॉमन आईटीआर फॉर्म की घोषणा की जा सकती है। यह कम-से-कम चार रिटर्न फॉर्म आईटीआर-2, 3, 5 और 6 की जगह लेगा। आईटीआर-7 फॉर्म पहले की तरह बना रहेगा। कर विशेषज्ञों का कहना है कि इससे रिटर्न भरने में आयकरदाताओं का समय बचेगा। इससे यह मुश्किल भी खत्म हो जाएगी कि उन्हें कौन-सा फॉर्म भरना है। यानी गलत फॉर्म के चुनाव का डर खत्म हो जाएगा।

देने होंगे 40 से अधिक सवालों के जवाब
कॉमन आईटीआर फॉर्म को आयकरदाताओं से पूछे गए सवालों के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें 40 या उससे ज्यादा सवाल होंगे, जिनका जवाब ‘हां’ या ‘नहीं’ में देना होगा। अगर जवाब ‘हां’ हुआ तो इससे जुड़े सवाल आयकरदाता से पूछे जाएंगे। जवाब ‘नहीं’ में होने पर इससे जुड़े सवाल दिखाई नहीं देंगे।

क्रिप्टो से मुनाफे के लिए अलग कॉलम
प्रस्ताव के अनुसार, ट्रस्ट और एनजीओ को छोड़कर सभी आयकरदाता कॉमन आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका मकसद व्यक्तियों और गैर-कारोबारी करदाताओं के लिए रिटर्न भरने में लगने वाले समय को कम करना है। इसके अलावा, नए फॉर्म में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स यानी क्रिप्टोकरेंसी से हुए मुनाफे और विदेश भेजी गई रकम की जानकारी देने के लिए भी एक अलग स्थान होगा।

वर्तमान में इनका होता है इस्तेमाल
आईटीआर-1 (सहज) : छोटे व मझोले करदाताओं के लिए है। 50 लाख तक सालाना आय वाले इसे भर सकते हैं। यह वेतन, संपत्ति या दूसरे स्रोत (ब्याज आदि) से हुई कमाई के लिए होता है।
आईटीआर-2 : अगर आपकी आय में आवासीय संपत्ति से प्राप्त कमाई शामिल है तो यह फॉर्म भर सकते हैं।
आईटीआर-3 : जिन लोगों को व्यापार या पेशे से आमदनी होती है, उन्हें यह भरना होता है।
आईटीआर-4 (सुगम) : इसका इस्तेमाल 50 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार और फर्म करते हैं।
आईटीआर-5 और 6 : सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) एवं कारोबारों की ओर से भरा जाता है।
आईटीआर-7 : ट्रस्ट और एनजीओ के लिए है।

जवाब देने में बरतनी होगी अधिक सावधानी
आईटीआर फाइलिंग में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल बढ़ रहा है। अनुपालन आसान बनाने में कॉमन आईटीआर फॉर्म सरकार का सही कदम है। इसमें सवालों के जवाब ‘हां’ या ‘नहीं’ में देते समय अधिक सावधानी बरतनी होगी। गलत विकल्प का चयन मुश्किलें खड़ी कर सकता है। -श्रीवत्सन चारी सह-संस्थापक, क्लियर