सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 30 जून को किए गए ऑनलाइन और ऑफलाइन स्थानांतरण में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने न तो नियमों का पालन किया और न ही न्यायालय का सम्मान। सबसे बड़ा सवाल 12 जुलाई 2021 को ऑनलाइन स्थानांतरण के लिए वेबसाइट पर प्रदर्शित की गई रिक्तियों के सापेक्ष इन पदों पर सैकड़ों की संख्या में ऑफलाइन तबादला किए जाने को लेकर खड़ा हुआ है।
यह तब है जबकि 12 जुलाई 2021 को प्रकाशन से पहले और उसके बाद तीन बार इन रिक्त पदों का जिला विद्यालय निरीक्षकों से सत्यापन कराया गया था और इन्हें ऑनलाइन स्थानांतरण के लिए ही सुरक्षित किया गया था। ऑनलाइन तबादले के लिए सुरक्षित पदों की जानकारी विद्यालय के प्रधानाचार्यों और प्रबंधकों के साथ ही जिला विद्यालय निरीक्षकों और शिक्षा निदेशालय को भी थी। अहम सवाल यह है कि जानकारी होते हुए इन पदों पर ऑफलाइन स्थानांतरण के लिए प्रबंधकों ने एनओसी क्यों दी ? जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रकरण अग्रसारित क्यों किया ? तथा निदेशालय ने ऑफलाइन स्थानांतरण क्यों किया ? स्पष्ट है कि अधिकारियों ने न तो नियम की परवाह की और न ही ऑनलाइन आवेदकों के हितों का ख्याल रखा। इतना ही नहीं इस बारे में दिए गए न्यायालय के निर्देश का सम्मान भी नहीं किया गया।