किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं उत्तर प्रदेश का यह सरकारी विद्यालय, देखें क्या क्या है सुविधाएं

 
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: सरकारी स्कूल का नाम आते ही आपके सामने टूटी छत, गिरते प्लास्टर, ज़मीन पर पढ़ रहे बच्चे और कुर्सियों पर उंघते टीचर जैसी छवि दिमाग में आ जाती है लेकिन शाहजहांपुर का एक ऐसा कंपोजिट विद्यालय जो किसी कॉन्वेंट स्कूल से कम नहीं है.विद्यालय की बेहतरीन व्यवस्थाओं और बेहतर शिक्षा गुणवत्ता को देखते हुए अभिभावक भी अब महंगे कॉन्वेंट स्कूलों को छोड़ अपने बच्चों यही पढ़ाना चाहते हैं.


शाहजहांपुर के ददरौल ब्लॉक के अकर्रा रसूलपुर गांव का कंपोजिट विद्यालय में स्मार्ट क्लास हैं, साइंस लैब है, इसके साथ बेहतरीन लाइब्रेरी भी है. वहीं विद्यालय का किचन भी काफी एडवांस है. विद्यालय का कैंपस इतना हरा भरा है कि देखने में किसी पार्क से कम नजर नहीं आता. विद्यालय में 559 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, इस विद्यालय15 लोगों का स्टाफ है, जिसमें दो अनुदेशक और 13 टीचर शामिल हैं. विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रेमपाल गंगवार ने बताया कि उनकी तैनाती वर्ष 2017 में यहां पर हुई थी, तैनाती के बाद उनका सपना था कि विद्यालय को कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर विकसित किया जाए.



विद्यालय के स्मार्ट क्लास रूम

विद्यालय के क्लासरूम को स्मार्टबनाया गया है, यहां एलईडी स्क्रीन पर बच्चों को एनीमेशन के जरिए पढ़ाया जाता है. एनीमेशन के जरिए से बच्चों को चीजों को समझने में काफी आसानी होती है. इस कंपोजिट विद्यालय में बेहतरीन साइंस लैब भी बनाई गई है. यहां बच्चों को जीव विज्ञान और केमिस्ट्री के साथ-साथ अन्य चीजों को बेहतरीन तरीके से समझाया जाता है.



उपस्थिति को मेंटेन रखने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम

प्रधानाध्यापक प्रेमपाल गंगवार ने बताया कि उन्होंने बच्चों की उपस्थिति को बेहतर करने के लिए एक नवाचार किया. उन्होंने बच्चों ट्रैकिंग करने के लिए बाकायदा अध्यापकों की एक पूरी टीम लगा रखी है. इसमें रोल नंबर के आधार पर हर अध्यापक को 50-50 बच्चे सौंप गए हैं, जिन पर अभिभावक रोजाना नजर रखते हैं, किसी भी बच्चों के अनुपस्थित होने पर संबंधित टीचर उस बच्चे से संपर्क करता है और स्कूल ना आने की वजह पता कर रिपोर्ट प्रधानाध्यापक को देता है.





एडवांस्ड किचन और डाइनिंग शेड



विद्यालय में सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए किचन में एलपीजी सप्लाई के लिए पाइपलाइन बिछाई गई है, सिलेंडर किचन से बाहर रखा जाता है और पाइपलाइन के जरिए ही चूल्हे तक गैस की सप्लाई होती है. वही मिड डे मील में इस्तेमाल होने पर वाले अनाज का बेहतरीन तरीके से भंडारण किया गया है.




बच्चों में राष्ट्रभक्ति की अलख जगाना भी है उद्देश्य



विद्यालय की छुट्टी होने पर रोजाना वंदे मातरम गायन होता है. छुट्टी की घंटी बजते ही विद्यालय के कमांड रूम से सभी बच्चों को वंदे मातरम में शामिल होने के लिए कहा जाता है, जिसके बाद सभी बच्चे अपने-अपने क्लासरूम में राष्ट्रगान का गायन करते हैं.