उत्तर प्रदेश में अब विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (एसईजेड)की तर्ज पर विशेष शैक्षिक परिक्षेत्र बनेंगे। युवा आबादी, प्रति व्यक्ति आय, इंफ्रास्ट्रक्चर व साक्षरता दर के आधार पर यह जोन तय होंगे। माना जा रहा है कि पहले चरण में अपने नोएडा, लखनऊ में यह विशेष शिक्षा परिक्षेत्र आकार ले सकते हैं।
डेलायट की विभिन्न सेक्टरों में दी गई रिपोर्ट को विभागों के सहयोग से लागू करने पर योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसी के तहत अब उच्च व तकनीकी शिक्षा में निजी विश्वविद्यालय, निजी निवेशकों व शैक्षिक संगठनों से आगे की योजना पर बैठकें शुरू हो गईं हैं। इस योजना के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके लिए शैक्षिक संस्थाओं की अनुपयोगी जमीन भी चिन्हित की जा रही है, जिसका उपयोग इस एसइजेड के लिए हो सकता है। यह एजूकेशन क्लस्टर बहुआयामी शिक्षा, शोध व कौशल विकास पर काम करेंगे। इसके लिए अब विस्तृत कार्ययोजना बन रही है और उसके बाद विशेष शैक्षिक जोन के लिए लोकेशन को अंतिम रूप दिया जाएगा।
अमेरिकन सलाहकार कंपनी डेलायट का कहना है कि शैक्षिक जगत को उद्योग से सीधा जोड़ कर राज्य के लाखों स्नातकों को रोजगार दिलाया जा सकता है।
डेलायट की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10851 छात्रों को निजी कंपनियों में रोजगार मिला है। यह साल 2022 से 10 प्रतिशत ज्यादा है। पालीटेक्निक कालेजों में 365340 सीटें भरी हैं। जो पिछले साल के मुकाबले यह 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। छह पालीटेक्निक पीपीपी मॉडल पर चल रहे हैं। राजकीय पालीटेक्निक में शुरू हुए नय पाठ्यक्रमों के लिए 1575 सीट हैं।