कोरोना काल में ली फीस स्कूल समायोजित करेंगे, सुप्रीम कोर्ट के 15 फीसदी शुल्क वापसी के आदेश से अभिभावकों को मिली राहत

 

अभिभावक कल्याण संघ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जतायी है। अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड काल में दोहरी मार पड़ी। कुछ विद्यालयों को छोड़कर अधिकांश विद्यालयों ने अभिभावकों से पूरी फीस वसूली। जबकि स्कूलों प्रबंधन का कोई संसाधन प्रयोग नहीं किया गया और बड़ी संख्या में विद्यालय प्रबंधन ने शिक्षकों को भी हटाया। स्कूल प्रबंधन का कोविड काल में कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ। सिर्फ अभिभावकों को बच्चों को बिना स्कूल भेजे पूरी फीस जमा करनी पड़ी। प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि सभी स्कूलों को तत्काल अदालत के आदेश का पालन करते हुए अभिभावकों को 15 फीसदी शुल्क वापस करना चाहिए। जिससे कि निश्चित रूप से अभिभावकों को बड़े स्तर पर राहत मिलेगी और वह इस राशि का इस्तेमाल बच्चों के लिए अन्य कामों में कर पाएंगे।



लखनऊ, कार्यालय संवाददाता। कोरोना काल में स्कूल बंदी के दौरान वसूली गई फीस स्कूल वापस करेंगे। अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने फीस समायोजित करने का फैसला लिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा है कि ज्यादातर स्कूलों ने फीस कम कर दी थी और कुछ ने छूट दे दी थी। फिर भी यदि किसी स्कूल ने ऐसा नहीं किया होगा तो वह फीस समायोजित करेंगे।


अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि अधिकांश विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में आम सहमति से 20 प्रतिशत तक एवं कुछ अन्य परिस्थितियों में इससे अधिक की भी छूट अभिभावकों को थी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश का पालन करते हुए सत्र 2020-21 तथा 2021- 22 में भी उत्तर प्रदेश के किसी भी निजी विद्यालय में कोई भी फीस नहीं बढ़ाई नई। यदि कुछ विद्यालयों द्वारा ऐसा नहीं किया गया है तो वह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए सत्र 2020-21 में ली गई फीस को आगे की किस्तों में समायोजित कर देंगे।


अनिल अग्रवाल ने कहा कि जिन विद्यालयों द्वारा कोरोना काल में मासिक शुल्क में छूट दी गई थी उन्हें अनायास परेशान न किया जाए एवं उनके ऊपर किसी प्रकार का दबाव न बनाया जाए।


कोरोना काल में फीस वापसी के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय है यह हमें नहीं पता। आदेश देखने के बाद ही कुछ कहना उचित होगा। आदेश का अध्ययन और परीक्षण करने के बाद ही कुछ कह सकूंगा। शन्मुगा सुन्दरम, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा