सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्त 979 तदर्थ शिक्षक साढ़े तीन साल से त्रिशंकु बने हुए हैं। संजय सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 26 अगस्त 2020 के आदेश पर इन शिक्षकों को नौ नवंबर 2023 को बाहर कर दिया गया था जिसके खिलाफ 2000 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फिलहाल उनकी सेवाएं समाप्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
इस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने सभी संयुक्त शिक्षा निदेशकों से तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के निस्तारण की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
इन शिक्षकों का तर्क है कि संजय सिंह के आदेश पर वर्ष 2000 के बाद नियुक्त शिक्षकों को तो प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती में मौका दिया गया था।
लेकिन साल 2000 से पहले नियुक्त शिक्षकों को अवसर नहीं मिला था। बिना मौका दिए सभी को बाहर का रास्ता दिखाना उचित नहीं है। सूत्रों के अनुसार सभी तदर्थ शिक्षकों को निश्चित मानदेय पर समायोजित करने की तैयारी चल रही है।
प्रबंधक और डीआईओएस देंगे प्रमाणपत्र
पांच जनवरी के आदेश के अनुसार जेडी दो दिन के अंदर जिला विद्यालय निरीक्षकों को कार्यवाही के निर्देश देंगे। डीआईओएस दो दिन के अंदर संस्था प्रबन्धक को कार्यवाही के निर्देश देंगे। संस्था प्रबन्धतंत्र एक सप्ताह के अंदर पत्रावली डीआईओएस कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। डीआईओएस तीन दिन में पत्रावली जेडी को उपलब्ध कराएंगे, जिसके सात दिन के अंदर मंडलीय समिति की बैठक कर सभी मामलों का निस्तारण करते हुए निदेशालय को रिपोर्ट भेजी जानी है। संबंधित जेडी प्रबन्धक एवं डीआईओएस का प्रमाण-पत्र भी उपलब्ध कराएंगे कि कोई भी प्रकरण निस्तारण के लिए शेष नहीं है। अन्यथा की स्थिति में संयुक्त शिक्षा निदेशक उत्तरदायी होंगे।
1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्त शिक्षकों का मामला
● संयुक्त शिक्षा निदेशकों को इन पर निर्णय लेने के निर्देश
● सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में हुई थी नियुक्ति
● सेवा समाप्ति के आदेश के बाद मंडल स्तर पर छोड़ा निर्णय