मैं 2017 से पदोन्नति में एनसीटीई का नोटिफिकेशन लागू करवाने की लड़ाई लड़ रहा हूं, वर्ष 2022 से मद्रास उच्च न्यायालय की पूरी सुनवाई पर नजर रखा। मैं उसी मुकदमे में हाथ लगाता हूं जिसमे जीत तय होती है।
दिनांक 03 मई 2023 को एनसीटीई का नोटिफिकेशन फॉलो करने का आदेश कराया। जब यह तय हो गया कि बगैर एनसीटीई नोटिफिकेशन फॉलो हुए पदोन्नति हो
जायेगी तो एक दिन पहले दिनांक 5 जनवरी 2024 को पदोन्नति प्रक्रिया रुकवा दिया था। 12460 भर्ती में राम जनक मौर्य को गोंडा में सिर्फ स्थगन मिला था मगर प्रक्रिया पूरे प्रदेश में रुक गई थी। इसी तरह दिनांक 5 जनवरी 2023 से पूरे प्रदेश में भी पदोन्नति प्रक्रिया रुक गई है।
जायेगी तो एक दिन पहले दिनांक 5 जनवरी 2024 को पदोन्नति प्रक्रिया रुकवा दिया था। 12460 भर्ती में राम जनक मौर्य को गोंडा में सिर्फ स्थगन मिला था मगर प्रक्रिया पूरे प्रदेश में रुक गई थी। इसी तरह दिनांक 5 जनवरी 2023 से पूरे प्रदेश में भी पदोन्नति प्रक्रिया रुक गई है।
मुझे आरोप प्रत्यारोप में विश्वास नहीं है। मुझसे बहुत लोगों ने कहा कि अंतर्जनपदीय जीरो शीट मामले में कुछ कीजिए तो मैने कहा कि मेरे वकील वो मामला लड़ रहे हैं, इसलिए यह मामला जो शिक्षक/शिक्षिका लड़ रहा हो उसी से संपर्क कर लीजिए। क्योंकि पैसा कमाना वसूली करना मेरा उद्देश्य न था, न है और न रहेगा। पदोन्नति मामले में जब मेरे वकील ने कहा कि अल्ट्रा वायरस चैलेंज किसी अन्य मुअक्किल की तरफ से कर रहा हूं तो मैंने तत्काल दिनांक 03 मई 2023 को मिली लिबर्टी का लाभ लेकर स्थगन कराया। मैं नियमावली में संशोधन का विरोधी नहीं हूं। मगर नियमावली संशोधन के चक्कर में 72825 के आवेदकों का जीवन बरबाद हो गया। जो नौकरी पा गए वो मजे में हैं जो नहीं पाए वो आज भी नहीं उबर पा रहे हैं। अपने मनमाफिक बेसिक शिक्षा नियमावली में संशोधन के लिए पांच महीने संशोधन रुकवाकर रखा। एनसीटीई का नोटिफिकेशन बाध्यकारी है।
*नियमावली में संशोधन किए बिना भी टीईटी उत्तीर्ण की पदोन्नति हो सकती है। यही मैं शुरू से कह रहा हूं और आदेश में आप सब पढ़ लीजिएगा। मेरा उद्देश्य टीईटी उत्तीर्ण की पदोन्नति कराना है न कि वर्षों तक पदोन्नति को ठंडे बस्ते में भेजना है।*
जिसका उद्देश्य पैसा कमाना हो वह कमाए, मेरा उद्देश्य सफलता, ईमानदारी और पारदर्शिता है। मेरा इश्यू है कि एनसीटीई के नोटिफिकेशन के अनुसार जल्द से जल्द पदोन्नति कराना। कोई साथ आए चाहे न आए। अपने वकील श्री अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी और श्री दुर्गा प्रसाद शुक्ल को धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूं। मेरे मित्र शशिकांत जी कहते हैं कि गैया भी कसैया पे ही पतियात है।
धन्यवाद
राहुल पांडे अविचल