शिक्षक संकुल बैठक ✍️आखिर कब समझ मे आएगा शिक्षको की तकलीफ़ बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को


*शिक्षक संकुल बैठक*
आखिर कब समझ मे आएगा शिक्षको की तकलीफ़ बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को

उधर आदेश आ रहा है इधर आदेश आ रहा है कि विद्यालय अवधि में कोई भी मीटिंग ना हो क्योंकि बच्चों की पढ़ाई का लॉस होगा, बैंक का काम, विद्यालय से संबंधित कोई भी काम, जनप्रतिनिधियों से मिलना, बच्चों से संपर्क करना, रैली निकालना, यह सब विद्यालय अवधि में करना मना है।
*और इधर थोक के भाव द्य्यूटी आ रही है सभी प्रकार के एग्जाम में ड्यूटी, बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी, समय-समय पर होने वाले आयोजनों में प्रतिभाग, किताबें लिखना, कंटेंट बनाना, ऑडियो बनाना, वीडियो बनाना , सैकड़ो द्य्यूटी विभाग के इतर और पता नहीं क्या-क्या इन सब के लिए कोई नियम नहीं है।*
लेकिन शिक्षा गुणवत्ता नही प्रभावित होगी🫡
*"""ध्यान देने वाली बात है सिर्फ महीने में एक बार होने वाली शिक्षक संकुल बैठक/मीटिंग स्कूल टाइम में नहीं होनी चाहिए"""*

बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकुल के अंतिम छोर पर स्थित विद्यालय में अगर शिक्षक संकुल बैठक होनी है तो 3 बजे शिक्षक निकले और पहुँचे कब और कितना समय दें और फिर 5: बजे निकले तो घर कब कैसे पहुँचे, आवागमन का साधन आदि सब समस्याएं आखिर क्यों नही दिखती विभाग को।
हजारों हजार शिक्षक प्रदेश में देखा जाए तो केवल जैसे फाइल ढोने के लिए ही लगे है शिक्षण कार्य से परे है, सैकड़ो द्य्यूटी विभाग से इतर आ रही है,तब गुणवत्ता नही प्रभावित हो रही है,किसी का ध्यानाकर्षण नही हो रहा है,
बस एक शिक्षक संकुल की बैठक स्कूल टाइम में हो जाएगी तो गुणवत्ता प्रभावित होगी ऐसी सोच रखने वालों लिए क्या कहा जाए(शिक्षको का दुख किसी को नही दिखता है,😞)

संकुल मीटिंग पूरे संकुल के विद्यालयों मे घूम -2 कर मीटिंग करने के बजाय संकुल.पर मीटिंग हो , जैसा इसी जनपद के कुछ ब्लाको मे हो रहा है उसमे पडोसी ब्लाक शंकरगढ़ भी है ।


    मीटिंग का समय यदि 3-5 है तो विद्यालय ही 3.30 पर जब बंद होगा तो मीटिंग स्थल पर जाने मे लगभग आधे घंटे का समय लगेगा ऐसे मे 4 बज जाता है और मीटिंग समाप्त होते होते 6 बज जाता है जबकि अधिकारी जब चाहे तब स्कूल समय मे गूगल मीट और यूट्यूब सेशन करने को स्वतंत्र है उनके लिये टाइम एंड मोशन कोई मायने नही रखता । शिक्षक को शिक्षा देने दे न कि कठपुतलियों की तरह इस्तेमाल करें ।
*दुर्भाग्यपूर्ण हमारा नेतृत्व और विभाग भी ऐसे मुद्दों पर मौन है*