राजनीति के लिए शैक्षिक संस्थानों को राजनीतिक मंच में नहीं बदला जा सकता


राष्ट्रीय व अन्य मुद्दों को लेकर विश्वविद्यालयों में आए दिन बढ़ने वाली राजनीतिक सरगर्मियों के कारण परिसर के अंदर माहौल बिगड़ने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। कोर्ट का मानना है कि शैक्षिक संस्थानों को
दलगत राजनीति के प्रचार-प्रसार के लिए राजनीतिक मंच में नहीं बदला जा सकता है।


न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के बीच अनुशासन आवश्यक है और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। अदालत ने स्पष्ट किया राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने वाले छात्रों पर कोई प्रतिबंध नहीं हो सकता है, लेकिन इस तरह से कालेज के परिसर की व्यवस्था को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह टिप्पणी पीएचडी छात्रा स्वाति सिंह को निलंबित करने के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन के फैसले को पलटते हुए की। अदालत ने कहा कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जहां पर प्रक्रियात्मक नियमों का अनुपालन बगैर कालेज प्रशासन द्वारा की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को रद करना पड़ा है। क्या था मामला याची पीएचडी छात्रा स्वाति सिंह को 2023 में महिला सुरक्षा गार्ड से मारपीट संबंधी एक शिकायत के सिलसिले में तीन बार बुलाया गया था। छात्रा खराब स्वास्थ्य या संबंधित तारीखों पर शहर से बाहर होने के कारण प्राक्टर के सामने पेश नहीं हुई। जेएनयू प्रशासन ने छात्रा को दो सेमेस्टर के लिए निलंबित कर दिया व छात्रावास से बाहर निकाल दिया।