इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) और इसके संघटक महाविद्यालयों के अंकपत्र अब दुनिया में कहीं भी सत्यापित किए जा सकेंगे। विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं को क्यूआर कोड वाली मार्कशीट जारी करेगा। इससे हर सत्र में करीब 40 हजार विद्यार्थियों को फायदा मिलेगा। सोमवार को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई इविवि की एकेडमिक कौंसिल की बैठक में इसके समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए बैठक के दौरान परीक्षा समिति की.
एकेडमिक कौंसिल की बैठक में क्यूआर कोड वाले अंकपत्र जारी करने का निर्णय
ओर से प्रस्तावित सुझावों को स्वीकार कर लिया गया। इसके अनुसार सभी अंकपत्रों में एक क्यूआर कोड होगा। इससे दुनिया में कहीं भी छात्रों को प्रदान की गई मार्कशीट पर लगे कोड को स्कैन करके मार्कशीट को सत्यापित किया जा सकेगा। इससे मार्कशीट के सत्यापन के नाम पर
होने वाला फर्जीवाड़ा खत्म हो जाएगा और सत्यापन की प्रक्रिया में लगने
वाला वक्त भी बचेगा। पूर्व में दक्षिण भारत में कुछ ऐसे मामले सामने आए थे, जहां विश्वविद्यालय के नाम पर सेंटर खोलकर डिग्रियां बांटी गईं थीं। वहां से जब अलग-अलग संस्थाओं ने मार्कशीट
सत्यापन के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय को दस्तावेज भेजे तो इन मामलों का खुलासा हुआ। अब क्यूआर कोड वाले अंकपत्र जारी होने से इस पर भी अंकुश लगेगा और संस्थाएं मौके पर ही क्यूआर कोड के माध्यम से मार्कशीट का सत्यापन कर लेंगी। ब्यूरो >> बंद होंगे पीजी के कई पाठ्यक्रम : भीतर