हाई कोर्ट ने दिया सरकार को आदेश, एक माह के अंदर नोशनल इंक्रीमेंट का करें भुगतान, जानिए क्या होता है नोशनल इंक्रीमेंट



प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोनभद्र के सहायक आयुक्त के नोशनल इंक्रीमेंट की मांग वाले आवेदन को खारिज किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की कोर्ट ने विजय कुमार पांडेय की याचिका पर दिया है। साथ ही कहा है कि एक माह में याची के सभी देयों का निर्धारण कर नोशनल इंक्रीमेंट का भुगतान किया जाए।


अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने दलील दी कि याची सोनभद्र में लोअर डिवीजन क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 30 जून 2023 को

सेवानिवृत्त हो गया था। इस दौरान उसने एक जुलाई को मिलने वाले नोशनल इंक्रीमेंट देने के लिए सहायक आयुक्त (ए) राज्य कर, सोनभद्र के यहां आवेदन किया। 21 मई 2024 को आदेश जारी कर दावे को खारिज कर दिया गया।

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। अधिवक्ता ने दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों में भी यह माना गया है कि 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी एक जुलाई को मिलने वाले वेतन वृद्धि का लाभ पाने का हकदार है.


जानिए क्या होता है नोशनल इंक्रीमेंट 
Notional increment का मतलब है वेतन वृद्धि जो वास्तव में नहीं मिलती, लेकिन गणना के लिए दी जाती है। इसका इस्तेमाल कई स्थितियों में किया जा सकता है, लेकिन भारत में सरकारी कर्मचारियों की पेंशन से जुड़ा है।

आमतौर पर, सरकारी कर्मचारियों को हर साल 1 जुलाई को वेतन वृद्धि मिलती है। लेकिन अगर कोई कर्मचारी 30 जून को सेवानिवृत्त हो जाता है, तो वेतन वृद्धि से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाता है। इस स्थिति में, पेंशन की गणना के लिए उन्हें एक notional increment दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि उनकी पेंशन की गणना उनके वास्तविक अंतिम वेतन के बजाय एक वेतन के आधार पर की जाती है, जो कि 1 जुलाई को वेतन वृद्धि के बाद का वेतन होता है।

यह कर्मचारी को थोड़ी सी बड़ी पेंशन दिलाने में मदद करता है।