04 July 2025

अब कक्षा छह से 12वीं तक छात्र पढ़ेंगे सहकारिता का पाठ

 

नई दिल्ली। पहली बार छठी से 12वीं कक्षा तक के छात्र सहकारिता का पाठ भी पढ़ेंगे। पहले चरण में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में सहकारिता विषय पर एक अध्याय अमूल' नामक पाठ जोड़ दिया है। जबकि सेकंडरी स्टेज यानी 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए' भारत में सहकारिता (कोऑपरेटिव इन इंडिया) नाम से विशेष मॉडयूल तैयार हो गया है। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह पांच जुलाई को गुजरात के आनंद में पहली त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के भूमि पूजन मौके पर इस मॉड्यूल को जारी करते हुए कई घोषणाएं भी करेंगे। खास बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है।



वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, भारत को तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रति व्यक्ति रोजगार के मौके उपलब्ध करवाने होंगे। इसमें सहकारिता क्षेत्र में सबसे अधिक संभावनाएं हैं। क्योंकि सहकारिता एक विचार नहीं, बल्कि आंदोलन है। देश का विकास सहकारिता के विकास पर निर्भर है और इसी आंदोलन की सफलता के लिए सरकार द्वारा गुजरात के आनंद में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी (टीएसयू) की स्थापना की जा रही है। मार्च-अप्रैल 2025 में टीएसयू बिल पास हुआ था। देश का पहला सहकारी विश्वविद्यालय भारत में श्वेत क्रांति और सहकारी दुग्ध आंदोलन के जनक, अमूल के संस्थापक त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल को समर्पित होगा।

9वीं से सहकारिता वैकल्पिक विषय रख


सकेंगे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सहयोग से एनसीईआरटी ने कक्षा 6 में सहकारिता विषय पर सामाजिक विज्ञान पुस्तक में एक अध्याय जोड़ दिया है। सरकार की योजना छठी कक्षा से ऊपर सभी कक्षाओं में सहकारिता से संबंधित अध्याय जोड़ने की है, ताकि वे प्राचीन काल से अब तक की सहकारी क्रांति, योजनाओं, उपलब्धियों से लेकर रोजगार के विकल्पों में बारे में जान सकें। इसके बाद, सीबीएसई बोर्ड समेत विभिन्न प्रदेश शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा में सहकारिता एक वैकल्पिक विषय बनाया जाएगा।



राव बहादुर श्रीपाद एस तल्मकी से लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल शामिल इस सहकार से समृद्धि थीम


पर आधारित मॉड्यूल में कुल छह चैप्टर हैं। इसमें छात्रों को 19वीं सदी में भारत में सहकारी आंदोलन के शुरुआती जनक राव बहादुर श्रीपाद सुब्रमण्यम तल्मकी के बारे में जानने का मौका मिलेगा। उन्हें भारत के सहकारी आंदोलन के जनक के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा छात्र सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी, वी लालूभाई मेहता, त्रिभुवनदास के पटेल, कमलादेवी च‌ट्टोपाद्धाय आदि की कहानियों से रूबरू होंगे। इसके अलावा आजादी से पहले से लेकर वर्ष 2024 तक सहकारिता क्षेत्र में होने वाले रिफॉर्म की जानकारी मिलेगी।