आयकर विभाग ने करदाताओं को राहत देने के लिए ‘टैक्स असिस्ट’ नाम से नया सुविधा टूल शुरू किया है। इसकी मदद से करदाता अपने किसी भी सवाल का आसानी से समाधान प्राप्त कर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
इस नए टूल के बारे में आयकर विभाग ने कहा कि ‘टैक्स असिस्ट’ की शुरुआत सभी तरह की कर संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए की गई है। विभाग ने एक उदाहरण के माध्यम से यह बताया कि धारा-80जीजीसी के तहत कर छूट का दावा करने वाले करदाताओं को किन-किन परिस्थितियों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह धारा उन दानदाताओं को कर में छूट देती है, जो किसी राजनीतिक दल या चुनावी न्यास यानी ट्रस्ट को राशि दान देते हैं। विभाग ने तीन अलग-अलग परिदृश्यों को साझा करते हुए यह समझाया कि नया टूल कैसे करदाताओं को इन दावों के दस्तावेजीकरण, स्पष्टीकरण और नोटिस के उत्तर देने में मदद करता है। यह पहल पारदर्शिता और कर दावों की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
दान का दावा
अगर दान किसी वैध राजनीतिक दल को किया गया है, तो टैक्स असिस्ट सलाह देता है कि दान की रसीदें और बैंक लेन-देन का सबूत संभालकर रखें, क्योंकि जांच के दौरान इनकी जरूरत पड़ सकती है। यह पहल आयकर विभाग की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत कर जमा कराने की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाया जा रहा है।
फर्जी दान का दावा
अगर किसी ने फर्जी या गैर-वैध राजनीतिक दान दिखाकर छूट का दावा किया है, तो इसे टैक्स चोरी माना जाएगा। ऐसे मामलों में टैक्स असिस्ट करदाता को आईटीआर-यू दाखिल करने और देय कर और ब्याज जमा करने की सलाह देगा, ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।
गलती से छूट का दावा
अगर करदाता ने गलती से 80जीजीसी के तहत छूट का दावा किया है, तो टैक्स असिस्ट उन्हें सलाह देगा कि वे अपना रिटर्न संशोधित करें या आईटीआर-यू फाइल कर कर और ब्याज जमा करें और अतिरिक्त रिफंड लौटाएं। ऐसा न करने पर जांच या पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है।