नई दिल्ली, नए आयकर विधेयक को लेकर संसदीय समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में टीडीएस रिफंड दावों और ट्रस्ट के कराधान में बदलाव की सिफारिश की है। समिति ने सुझाव दिया है कि करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख के बाद भी बिना किसी दंडात्मक शुल्क का भुगतान किए टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जाए। नए विधेयक में इसकी अनुमति नहीं है।
आयकर विधेयक-2025 की समीक्षा के लिए भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता में लोकसभा की प्रवर समिति का गठन किया गया था। पांडा ने सोमवार को लोकसभा में 4584 पेज की यह रिपोर्ट पेश की। इसमें आम करदाताओं, गृहस्वामियों, स्टार्टअप्स, गैर-लाभकारी संगठनों, छोटे-मध्यम उद्यमों, धार्मिक संस्थाओं और विदेशी निवेशकों समेत 32 अहम मुद्दों को लेकर अहम सुझाव दिए गए हैं। ।
गुमनाम दान पर स्थिति स्पष्ट हो : धर्मार्थ और परमार्थ उद्देश्यों वाले संगठनों के लिए गुमनाम दान पर कर लगाने के संबंध में अस्पष्टता को दूर करने की सिफारिश की गई है। सीमित ने कहा कि गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा प्राप्त धनराशि पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि यह आयकर अधिनियम से जुड़े आय कराधान के सिद्धांत का उल्लंघन है। आय शब्द को फिर से लागू करने की सिफारिश की गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि केवल एनपीओ की शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए।
समिति ने सुझाव दिया कि धार्मिक और परमार्थ न्यास (ट्रस्ट) को ऐसे दान पर छूट दी जानी चाहिए।
अन्य प्रमुख सुझाव
● घर से होने वाली आय पर कटौती की गणना के नियम को स्पष्ट किए जाए
● 30 फीसदी वार्षिक कटौती नगर पालिका कर घटाने के बाद हो।
● पूर्व-निर्माण ब्याज की कटौती किराए पर दिए गए मकानों के लिए भी हो।
● सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की परिभाषा को एमएसएमईडी अधिनियम के अनुरूप किया जाए
● वैज्ञानिक अनुसंधान की स्वीकृति केवल विशेष उपधारा 45(3)(सी) पर लागू हो।
● स्टार्टअप्स इन-हाउस शोध एवं अनुसंधान पर अतिरिक्त छूट को स्पष्ट किया जाए।
● इस करार से ब्रिटिश कारों पर आयात शुल्क 100% से घटाकर 10% पर आ जाएगा
● ब्रिटिश व्हिस्की पर आयात शुल्क 150% से घटाकर 75% हो जाएगा।
● ब्रिटिश से आने वाले सौंदर्य उत्पादों पर भी शुल्क में कमी होगी। इससे ये उत्पाद भी भारत में सस्ते मिलने लगेंगे।
● कपड़ा, फुटवियर और चमड़ा क्षेत्र में भी भारत को अधिक फायदा होगा
● यूके की कंपनियां भारत में उत्पादन इकाई लगाने में भी दिलचस्पी दिखा सकती हैं
● इससे देश में निवेश और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
अहम मुद्दों को लेकर संशोधन का सुझाव दिया है संसदीय समिति ने
प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, अगर कोई करदाता तय समय सीमा के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करता है, तो उसे टैक्स रिफंड का लाभ नहीं मिलेगा। समिति ने इस नियम को नरम करने की सिफारिश की है, जिससे देर से रिटर्न भरने वालों को भी रिफंड मिल सकेगा।
ऐसे करदाताओं,जो कर के दायरे में नहीं आते हैं लेकिन जिनसे टीडीएस वसूला गया है, उन्हें केवल रिफंड दावा करने के लिए आईटीआर दाखिल करने से छूट दी जाए। ऐसे मामलों में केवल एक सरल फॉर्म भरने की व्यवस्था हो, जिससे रिफंड दावा किया जा सके।
नए आयकर विधेयक में धारा 80ए को शामिल नहीं किया गया था, जो कंपनियों को इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर कर छूट देती थी। समिति ने इसे फिर से शामिल करने की सिफारिश की है ताकि कंपनियों पर कर बोझ कम हो और उन्हें लाभांश पर अतिरिक्त कर न देना पड़े।