प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) के 3539 पदों पर भर्ती के लिए 21 और 22 जुलाई को प्रस्तावित लिखित परीक्षा बिना किसी पूर्व सूचना के स्थगित होने से दु:खी प्रतियोगी छात्रों ने विरोध का ऐसा अनूठा तरीका अपनाया जो इससे पहले कभी सुना नहीं गया है। प्रतियोगी छात्रों ने टीजीटी परीक्षा का काल्पनिक प्रश्नपत्र अपने हाथों से बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इस काल्पनिक प्रश्नपत्र में कुल सात प्रश्न हैं और प्रत्येक प्रश्न नवगठित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करने वाले हैं।
सभी प्रश्नों के चार विकल्प भी दिए हैं। सबसे पहला प्रश्न है-‘बिना कोई नोटिस जारी किए अपनी परीक्षा टालने वाला भारत का पहला आयोग बना।’ विकल्प में सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग है फिर तीन अन्य आयोग के नाम दिए गए हैं। दूसरा प्रश्न है-‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अपनी टीजीटी परीक्षा कितनी बार टाल चुका है’। तीसरे प्रश्न में पूछा है-‘आयोग की पीजीटी (प्रवक्ता) भर्ती परीक्षा स्थगित कर दी गई है। यह परीक्षा 18 और 19 जून को होने वाली थी। इसे क्यों टाला गया?’ इसमें चारों विकल्प-अपरिहार्य कारण, बच्चे धरना दे रहे थे, मन नहीं हुआ पेपर बनाने का या टाइम नहीं मिला-रोचक हैं।
चौथा प्रश्न है-‘आयोग को टीजीटी परीक्षा के आवेदन लिए हुए कितने साल हुए हैं’। पांचवें प्रश्न में पूछा है-‘आयोग ने पीजीटी परीक्षा कब कराने का इरादा किया है’। छठवां प्रश्न खासा रोचक है-‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के बाहर टीजीटी-पीजीटी के अभ्यर्थियों ने मंगलवार दोपहर प्रदर्शन किया।
आयोग के गेट को बंद कर दिया। इस कथन में कौन सा अलंकार है।’ सातवां और आखिरी प्रश्न है-‘आयोग का क्या काम होता है’। इसके चारों विकल्प में है- परीक्षा समय से कराना, कुछ काम नहीं, चाय पानी करना या बच्चों को बहकाना। गौरतलब है कि टीजीटी के लिए 16 जुलाई 2022 तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। इसमें 868531 अभ्यर्थियों ने फार्म भरा था।