नई दिल्ली, । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। अब नियोक्ता पोर्टल पर नो योर कस्टमर (केवीईसी) सेक्शन में जाकर आधार को लिंक कर सकते हैं जबकि अभी तक इस काम के लिए ईपीएफओ से मंजूरी लेनी होती थी।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े अंशधारकों की सुविधा के लिए उन सभी शर्तों एवं मंजूरियों की जरूरत को हटाया जा रहा है जो गैर जरूरी हैं। गौरतलब है कि ईपीएफओ मौजूदा नियमों में बदलाव करके भविष्य निधि कोष की निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
नाबालिग की दावा प्रक्रिया को सरल बनाया : इसी तरह से अगर किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उसके नाबालिग बच्चों के लिए दावे की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। अब अभिभावकों के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं होगी। इससे भुगतान सीधे बच्चों के खातों में जाएगा। नाबालिग का खाता खुलवाने में ईपीएफओ कार्यालय को मदद करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
जल्द मिलेगी एटीएम से निकासी की सुविधा : मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ईपीएफओ सदस्य जरूरत पड़ने पर बिना किसी कागजी कार्रवाई के एक निर्धारित धनराशि तक निकासी कर सकें, इसको लेकर काम चल रहा है। ईपीएफओ 3.0 को लेकर एक नए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम चल रहा है जो सदस्यों को बेहतर और तेज सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन है। इस प्लेटफ़ॉर्म के जरिए सदस्य अपने पीएफ खातों से सीधे एटीएम या यूपीआई के माध्यम से पैसे निकाल सकेंगे।
ईपीएफओ 3.0 में ऑनलाइन दावा निपटान, ओटीपी सत्यापन के माध्यम से खातों को अपडेट करने जैसी सुविधाएं भी बेहतर होंगी। बताया जा रहा है कि सॉफ्टवेयर के आखिरी मॉडल पर काम चल रहा है, जिसकी टेस्टिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद ईपीएफओ 3.0 को शुरू कर दिया जाएगा, जिसके बाद एटीएम से धनराशि निकासी की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
पीएफ खाते से निकासी में दिक्कत सबसे ज्यादा
ईपीएफओ सदस्यों को पीएफ से निकासी में दिक्कत आती है क्योंकि कई बार केवाईसी अपडेट न होने, बैंक खाते का मिलान न होने और केवाईसी के तौर पर पूर्व में दी गई जानकारी के पुराने डेटा से मिलान न होने पर समस्या होती हैं। कई बार आधार और यूएएन की जानकारी मेल नहीं खाती है, ऐसी स्थिति में संयुक्त घोषणा पत्र की प्रक्रिया को सरल किया गया है। नियोक्ता अब ऑनलाइन ही संयुक्त घोषणा पत्र के जरिए नाम, लिंग और जन्म तिथि का सुधार कर सकता है। केवाईसी-बैंक खाता अपडेट से लेकर अन्य प्रावधानों में गैर जरूरी नियमों को हटाकर प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।