02 September 2025

हाईकोर्ट ने कहा, अलग रह रही जेठानी परिवार का हिस्सा नहीं

 

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति निरस्त किए जाने के एक आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शासनादेश के तहत जेठानी को एक ही परिवार का हिस्सा तभी माना जाएगा, जब दोनों भाई एक ही घर रहते हों और एक ही रसोई हो। दोनों का घर व रसोई अलग हो तो एक परिवार का हिस्सा नहीं होगी। इसी के साथ कोर्ट ने याची आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया और सेवाजनित सभी परिलाभ के साथ बहाली का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने सोनम की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को याची को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में बहाल करने का निर्देश दिया है। याची सोनम की नियुक्ति जिला कार्यक्रम अधिकारी बरेली ने गत 13 जून को रद्द कर दी थी।यह आधार लिया गया था कि जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनबाड़ी सहायिका थी। शासनादेश के अनुसार एक परिवार के दो सदस्य आंगनबाड़ी केंद्र में नौकरी नहीं कर सकते।



याची ने तर्क दिया कि उसकी जेठानी अलग घर में रहती है इसलिए याची के पति के परिवार की परिभाषा में नहीं आते, भले ही वह अपने ससुर के परिवार से संबंधित हो। कहा गया कि किसी भी तरह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयन और नियुक्ति के प्रयोजनों के लिए जेठानी को परिवार की परिभाषा के अंतर्गत नहीं माना जा सकता। साथ ही आदेश याची को कोई नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना किया गया था। कोर्ट ने कहा कि बहू (जेठानी) परिवार की सदस्य नहीं होगी। बहू (जेठानी) को परिवार का सदस्य माना जा सकता है बशर्ते दोनों भाई एक साथ रहते हों और उनकी रसोई और घर एक ही हो।