*प्रमोशन मे टेट की अनिवार्यता विश्लेषण*
## 1 सितम्बर को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले कि प्रमोशन मे टेट अनिवार्य है तथा वे लोग जो 29जुलाई 2011 से पहले नियुक्त हुए है और जिनकी सर्विस 5 साल से अधिक की है उन्हें 2 साल मे अनिवार्य रूप से टेट क्वालीफाई करना होगा अन्यथा उनकी सेवा समाप्त हो जाएगी l
*जरा विचार कीजिये कि नीतिगत रूप से ये फैसला क्या सही आया है। क्या 2011 से पहले नियुक्त शिक्षक जो 45 साल से ऊपर हो चुके होंगे, 8 घंटे नौकरी,विभाग के विभिन्न रोजाना के आदेशों, ट्रेनिंग, blo ड्यूटी, udise, dbt, आदि तमाम प्रक्रिया से गुज़रते हुए घरेलू जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए रोजाना 50 km कि यात्रा करके 25 साल के लड़को कि तरह क्या किसी परीक्षा कि तैयारी कर सकतें है?* कभी नहीं।
## 2011 से पहले जो शिक्षक / शिक्षिकायें नियुक्त थे उनकी नियुक्ति के मानक अलग थे, मानक बाद मे बदल दिए गए तो जो प्रोमोट हो चुके है (वो भी उस समय कि जारी प्रक्रिया के तहत ही हुए थे ) उन पर ये नई व्यवस्था जबरन क्यों थोपी जा रही। *एक तरफ कोर्ट ही कहती है कि खेल शुरू होने के बाद नियम मे बदलाव नहीं किया जा सकता है, दूसरी तरफ आप पूरा खेल ही बदल देतें हैं (142 के तहत प्राप्त शाक्तियों के आधार पर)।*
## NCTE एक संस्था है जिसको नियुक्ति सम्बन्धी नियम बनाने का अधिकार है, यदि यही ncte हर दस साल पर नियम चेंज करती रहे और sc उसी मानक पर सबके लिए सामान जजमेंट देती रहे तो हर 10 साल मे अच्छीखासी संख्या मे अपना पद खोते रहेंगे। इनकी भी कहानी बेचारे शिक्षामित्रों जैसी हो जाएगी।
## एक और बात कुछ कोर्ट जीवी, *चंदा जीवी* जो विभाग से जारी हर प्रक्रियाओं मे कमियाँ निकालकर (शिक्षक हित का ढ़ोल पीट कर ) कोर्ट पहुँच जाते हैं इनसे सावधान रहना होगा। इनका शिक्षक हित नहीं बल्कि चंदा से मतलब है। *इनका हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अधिवक्ताओ से लेकर aor तक 50% तक कट फिक्स रहता है।* इनके फ्लैट लखनऊ नोएडा तक हैं। और इनकी महत्वकांक्षा आगे एमएलसी पद और अपनी राजनीती चमकाने कि है। इन्होने बेसिक शिक्षा को और शिक्षकों को अपना खिलौना बना लिया है। सोशल मीडिया पर विभिन्न ग्रुपों मे मैसेज कर कर के ये बेवक़ूफ़ बनाते हैं।
## *2011 से पहले कि भर्तिओं के लोगों को कानूनी प्रक्रिया का बहुत कम सामना करना पड़ा, इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें कुछ मालूम ही नहीं बस वो अपनी शक्तियां भूल गए हैं उन्हें 2011 के बाद सामने आये भर्तिओं मे कोर्ट मे लड़ने वाले विभिन्न चंदा चोर गुटों पे विश्वास करना छोड़ना होगा क्योंकी ये आपसे पैसे कमा कर आपका ही अहित करेंगेl*