02 September 2025

टीईटी पात्रता व एनसीटीई गाइडलाइंस की अनदेखी पर अदालती आदेश: संवैधानिक अधिकार, राज्य की नियुक्तियां और केंद्र सरकार की भूमिका: हिमांशु राणा

 

मैं शुरू से कह रहा हूं आदेश में 02 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस को दरकिनार किया गया है । आप स्वयं देखिए जारी की गई गाइडलाइंस में लिखा है कि एक्ट के पारित होने के पूर्व में अगर राज्य सरकारों ने कोई विज्ञापन जारी किया गया है तो वे 2001 के नियमों के अनुसार क्रियान्वित होंगी यानी जब टीईटी परीक्षा नहीं होती थी । 


कल के आदेश ने टीईटी को पात्रता परीक्षा जो एनसीटीई द्वारा मानी गई थी अब उसको सर्वोच्च न्यायालय ने कांस्टीट्यूशनल राइट यानी संवैधानिक अधिकार मान लिया है ।


 आरटीआई एक्ट 2009 के सेक्शन 23(2) का सहारा लेते हुए न्यायालय ने ये कहा है कि ऐसे शिक्षक जो कि एक्ट लागू होने पर न्यूनतम अहर्ता यानी टीईटी उत्तीर्ण नहीं थे उन्हें 05 वर्षों के भीतर टीईटी करना होगा । ये मामला तमिलनाडु सरकार का था जहां पर तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार की अनुमति से ऐसी नियुक्तियां की थी जिनमें अभ्यर्थियों को टीईटी से छूट दी गई थी फिर केंद्र सरकार ने 2017 में इस पर clearification दिया कि टीईटी करना होगा । यहां बात का उल्लेख करना अति - आवश्यक है कि केंद्र सरकार स्वयं टीईटी से छूट की अनुमति नहीं दे सकती है । पर 2015 में तमिलनाडु राज्य के लिए इस समय सीमा को बढ़ाकर 2019 किया । 


लेकिन प्रश्न वही है कि न्यूनतम अहर्ता के लिए जारी की गई 02 अगस्त 2011 की गाइडलाइंस के अनुसार जिसमें साफ लिखा है कि पूर्व पर नियुक्त किए गए शिक्षकों या ऐसे विज्ञापन जो एक्ट बनने से पूर्व जारी हुए थे उनके लिए 2001 की गाइडलाइंस आवश्यक रहेंगी । 


फैसला कहीं से कहीं तक सही नहीं है बाकी केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बिना कुछ नहीं होगा।  


#राणा