लखनऊ। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में बेहतर शैक्षिक गुणवत्ता के लिए विद्यार्थियों की 75% उपस्थिति अनिवार्य है। ऐसा नहीं होने पर विद्यार्थी परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। यदि कोई विद्यार्थी अनुपस्थित है तो उसके घर पर फोन किया जाए। ताकि अभिभावक को भी पता चल सके कि उनका बच्चा कहां है।
मौका था मंगलवार को ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह का। राज्यपाल ने शिक्षकों से भी कहा कि वे भी अनुशासन का पालन करें। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में डीजी लॉकर पर डिग्री अपलोड करते हुए कहा कि एक समय था जब विद्यार्थी को अपनी ही डिग्री की कॉपी लेने के लिए विश्वविद्यालय में दो-दो हजार घूस देनी पड़ती थी। आज ये सब बंद है और विद्यार्थियों को राहत है।
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इससे पहले कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने विवि की प्रगति के बारे में बताया। कार्यक्रम में इस साल स्नातक, परास्नातक और पीएचडी के कुल 1441 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी, जिनमें 1393 सफल हुए। छात्राओं का पास प्रतिशत 97.4 और छात्रों का 96.8 फीसदी रहा। इस साल समारोह में कुल 146 पदक दिए गए। इनमें 63 स्वर्ण, 42 रजत और 41 कांस्य पदक हैं। 99 पदक छात्राओं को मिले हैं। बता दें कि यहां 21 राज्य और छह धर्मों के विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। अल्लू नगर डिगुरिया प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने पेड़ों की रक्षा का संदेश देते हुए कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
पढ़ाई के लिए संतुलन व मानवता जरूरी : मुजफ्फर अली
मुख्य अतिथि फिल्मकार मुजफ्फर अली ने विद्यार्थियों से कहा कि पढ़ाई के लिए दो चीजें अहम हैं संतुलन और मानवता। इन दो के बिना पढ़ाई बेकार है। भाषा बेहद अहम है। भाषा एक जमाने से दूसरे जमाने को जोड़ती है। उन्होंने अपनी पुस्तक ''जिक्र'' की चर्चा करते हुए कहा कि उनमें लोगों से मुलाकात के दौरान निकलकर आई बातें और उनकी विशेषता की चर्चा है।
छात्रा रहमाना ने बताया कि नियमित पढ़ें और लक्ष्य पर ध्यान दें तो सफलता मिलेगी। उर्दू, अरबी फारसी, कला एवं मानविकी संकाय और बीए उर्दू में प्रथम आने पर मुझे तीन स्वर्ण पदक मिले हैं। पिता इजहार सिद्दीकी फैशन डिजाइनर और मां सुमैया गृहिणी हैं। मेरा सपना है विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनना है। - रहमाना
छात्र अपूर्व द्विवेदी ने बताया कि माता के नाम को ध्यान में रखते हुए पढ़ें सफलता मिलेगी। अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय और बीटेक में प्रथम आने पर मुझे तीन स्वर्ण पदक मिले हैं। आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूं। पिता हरिकेश द्विवेदी शिक्षक और मां सरोज गृहिणी हैं। इंजीनियर बनना मेरा सपना है। -
छात्र धर्मेश यादव के अनुसार एक अच्छा अध्यापक बनने के लिए विषय पर मजबूत पकड़ होना जरूरी है। स्नातक स्तर पर सभी संकाय में प्रथम, विज्ञान संकाय में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने व बीएससी-रसायन में प्रथम आने पर तीन स्वर्ण पदक मिलें हैं । पिता बृजकिशोर यादव किसान और मां मनोरमा देवी गृहिणी हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर बनना सपना है।
छात्रा तनु प्रिया ने बताया कि पहले अपने बेहतर कॅरिअर के लिए मन से पढ़ें। स्नातक में सामाजिक विज्ञान, बीएड में पहला स्थान मिलने पर दो स्वर्ण पदक मिलें हैं। पिता ब्रजनाथ इलेक्टि्रकल इंजीनियर और मां सुभासिनी गृहिणी हैं। मेरा लक्ष्य प्रोफेसर बनना है।
इन सुविधाओं का लोकार्पण व शिलान्यास
मॉइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, बॉटनी एंड जूलॉजी लैब और दिव्यांगजन की सुविधा के लिए छह रैंप, चार शौचालय व लिफ्ट, टेनिस एवं वॉलीबॉल कोर्ट, राम प्रसाद बिस्मिल पुस्तकालय एवं गणेश शंकर विद्यार्थी अध्ययन केंद्र (रूसा) लिफ्ट, अवधी शोधपीठ, आर्ट गैलेरी, म्यूज़ियम, लाइब्रेरी ऑटोमेशन एंड आरएफआईडी, पाणिनी भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र, अतिथि गृह वीआईपी कक्ष, सिविल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग वर्कशाप, ग्रीन हाउस, हर्बल गार्डन, ओपन जिम, आईओटी लैब।
सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने मेधावियों से कहा कि सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी होगी, आप उससे पीछे न हटें। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा आपको मेडल मिले हैं आप अब समाज के लिए मॉडल बनें। आपको ऐसा वट वृक्ष बनना होगा जो हर क्षेत्र के लिए ऐसे बीज दे जो उस क्षेत्र को आगे बढ़ाए।