इटावा। सुप्रीम कोर्ट के टीईटी अनिवार्यता के आदेश के बाद जनपद के लगभग ढाई हजार परिषदीय शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। नौकरी पर आए संकट से बचने के लिए परिषदीय स्कूल के शिक्षकों ने कोचिंगों में जाकर पढ़ाई शुरू कर दी है। ये शिक्षक पहले विद्यालय में पढ़ाने जाते हैं और फिर शाम को कोचिंग में टीईटी की पढ़ाई करने जाते है। शिक्षकों का कहना है कि दिन ब दिन प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। ऐसे में किसी भी परीक्षा को आसानी से पास करना संभव नहीं है, इसके लिए पढ़ाई तो करनी ही पड़ेगी।
जिले के 1484 परिषदीय स्कूलों में लगभग साढ़े छह हजार शिक्षक तैनात हैं। इनमें प्रधानाचार्य, सहायक अध्यापक, शिक्षामित्र व अनुदेशक भी शामिल हैं। प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी की परीक्षा करवाई गई थी। इससे पहले जो शिक्षक शिक्षण कार्य में लगे थे वह बीटीसी व उस समय की जो योग्यता निर्धारित थी उसी अनुरूप शिक्षक बने थे। वर्ष 2011 के बाद बेसिक शिक्षा परिषद की जो भी भर्तियां हुई उनमें टीईटी अनिवार्य हो गया था। बीते माह सुप्रीम कोर्ट की ओर से परिषदीय स्कूल के सभी शिक्षकों को टीईटी की अनिवार्यता का आदेश जारी किया था। जनपद के लगभग ढाई हजार शिक्षकों पर इस आदेश का प्रभाव पड़ेगा। शिक्षकों को अब नौकरी पर खतरा दिखाई देने लगा है, ऐसे में उन्होंने विरोध प्रदर्शन के साथ ही टीईटी की तैयारी करनी भी शुरू कर दी है। इस समय परिषदीय स्कूलों का समय सुबह नौ बजे से शाम तीन बजे तक चल रहा है, ऐसे में शिक्षक स्कूल की छुट्टी के बाद शाम चार से सात बजे तक कोचिंग सेंटरों में पहुंच रहें हैं। शाम ढलते ही शहर की छह कोचिंगों में शिक्षकों के लिए बैच लगाए जा रहें हैं। हर कोचिंग में 100 से 300 शिक्षक पढ़ाई कर रहें हैं।