केंद्रीय शिक्षण संस्थान में आरक्षित श्रेणी की खाली सीटें अब ओपन कैटेगरी में नहीं होगी तब्दील


नई दिल्ली । आइआइटी सहित देश भर के केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित श्रेणी की खाली सीटें अब ओपन कैटेगरी में तब्दील नहीं होगी,बल्कि जिस वर्ग के लिए आरक्षित है उनसे ही भरी जाएंगी। शिक्षा मंत्रालय ने पीएमओ के दखल के बाद इसे लेकर सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही कहा है कि आरक्षित श्रेणी की खाली सीटों को भरने के लिए जरूरत पड़ने पर कटआफ को भी नीचे रखने जैसे कदमों को उठाने पर विचार किया जाना चाहिए।

शिक्षा मंत्रालय ने दिए निर्देश

शिक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों से ऐसे कदम तत्काल रोकने के भी निर्देश दिए हैं जहां आरक्षित श्रेणी की खाली सीटों को ओपन या अनरिजर्व कैटेगरी में तब्दील करके भरा जा रहा था। इसके साथ ही सभी संस्थानों से अमल की रिपोर्ट भी मांगी है। जानकारों की मानें तो ऐसे कदम उठाने वालों में गिने चुने ही केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान शामिल थे।

प्रतिभाशाली छात्रों को मौका दिया जाए

हालांकि इसके पीछे उनका तर्क था कि खाली सीटों के बेकार चले जाने से बेहतर है कि इन सीटों को ओपन कैटेगरी में डाल अन्य प्रतिभाशाली छात्रों को मौका दिया जाए। खास बात यह है कि सैद्धांतिक तौर पर तो यह पहल ठीक थी, लेकिन कानूनी रूप से गलत थी।

शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने बताया था गलत

शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने संवैधानिक आधार पर आरक्षित श्रेणी की खाली सीटों को ओपन या अनरिजर्व कैटेगरी में तब्दील करने के कदम को गलत बताया और कहा कि इस पर तत्काल रोक लगाई जाए। साथ ही यह निर्देश भी दिया कि इन खाली आरक्षित सीटों को उसी श्रेणी से भरने की हरसंभव कोशिश की जाए।

दूसरे विकल्‍पों पर किया जाए विचार

खासकर ओबीसी (नान क्रीमीलेयर) और सामान्य ईडब्लूएस श्रेणी की ऐसी सीटों को भरने के दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जाए। जिसमें प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले इस श्रेणी के बच्चों को कोचिंग प्रदान करने, कम अंक होने पर दाखिले के नियत कटआफ को कम करने, ऐसे छात्रों को दाखिला देने के बाद एक साल तक पूरक शिक्षा देने ताकि उन्हें उस स्तर पर लाया जा सके जैसे कदमों को उठाने का सुझाव दिया।

हर साल आइआइटी में रह जाती हैं पांच हजार से ज्यादा सीटें खाली

शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में संसद में सौंपी गई एक रिपोर्ट में बताया है कि अकेले आइआइटी में ही हर साल पांच हजार से ज्यादा सीटें खाली रह जाती हैं। यह सभी आरक्षित श्रेणी की होती हैं। वर्ष 2021-22 में ही आइआइटी में अलग-अलग कोर्सो की 5,296 सीटें खाली थीं। इनमें बीटेक की 361 सीटें, एमटेक की 3,082 सीटें और पीएचडी की 1852 सीटें शामिल हैं।