जनता की भलाई के लिए सरकार योजनाएं तो बनाती है, लेकिन जिन नौकरशाहों पर इन योजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी होती है उनकी उदासीनता के चलते समय पर जरूरतमंदों को इनका लाभ नहीं मिल पाता। उक्त टिप्पणी करते हुए संसद की एक समिति ने केंद्र से नौकरशाहों की व्यवहारिक क्षमता को मजबूत कर उनमें सही लोक सेवा प्रदान करने का रवैया स्थापित करने के लिए कहा है।
कार्मिक, लोक शिकायत और विधि एवं न्याय संबंधी संसद की स्थायी समिति ने हाल में संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में नागरिकों के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक योजना लाने की सिफारिश की है। इसमें सरकारी अधिकारियों के लिए पुरस्कार और दंड संबंधी उचित उपाय भी शामिल करने की सलाह दी है ताकि यह प्रभावी हो सके।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति का मानना है कि सरकारी योजनाओं को लागू करने और सेवाओं की उपलब्धता के संदर्भ में एक बड़ा अवरोध यह है कि नौकरशाह योजनाओं/कार्यक्रमों को लेकर उदासीन रहते हैं। ऐसे में यह समिति सिफारिश करती है कि प्रशासनिक विभाग एवं लोक शिकायत विभाग नौकरशाहों में लोकसेवा को लेकर सही भावना पैदा करने के लिए उचित कार्यक्रम बनाए और पहल करे।’ समिति ने कहा, ‘अधिकारियों को ई-आफिस का उचित प्रशिक्षण दिया जाए। अधिकारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास हो कि वे ई-आफिस के माध्यम से ही अपने कार्यालयी काम करें।’
समिति की यह रिपोर्ट 2022-23 के लिए प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग तथा पेंशन व पेंशनभोगी कल्याण विभाग से संबंधित अनुदानों की मांग पर है। इसमें समिति ने यह भी कहा है कि पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग को केंद्र सरकार के सभी संगठनों के पेंशनभोगियों को एकीकृत करने की व्यवहारिकता तलाश करनी चाहिए।