यूपी के प्राइमरी स्कूलों में फर्जी नामांकन का खेल खत्म, शतप्रतिशत बच्चे आधार से जुड़ेंगे


लखनऊ,। बेसिक शिक्षा परिषद के 1.58 लाख प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अब बच्चों का फर्जी नामांकन नहीं हो सकेगा। स्कूल चलो अभियान के तहत जिन छात्र-छात्राओं को स्कूलों में प्रवेश मिल रहा है, उनका ब्योरा प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। साथ ही प्राइमरी स्कूलों में पढऩे वाले शत-प्रतिशत बच्चे आधार से जोड़े जा रहे हैं, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है उनका कार्ड तत्काल बनाया जा रहा है और जो आधार से लैस हैं उनका सत्यापन भी हो रहा है।

शैक्षिक सत्र की शुरुआत स्कूल चलो अभियान से होती रही है, लेकिन इस बार का अभियान पिछले अभियानों से अलग है। पहली बार छात्र-छात्राओं के प्रवेश का लक्ष्य तय हुआ है। दो करोड़ बच्चों का नामांकन होना है, यह संख्या पार होने पर भी बच्चों को प्रवेश मिलेगा। इसके लिए जिलों की जनगणना के आधार पर जिलावार लक्ष्य सौंपा गया है, सबसे अधिक प्रवेश लखीमपुर खीरी जिले में करीब सवा लाख दाखिले होने हैं। इसी तरह से हरदोई, सीतापुर, बहराइच आदि जिलों को भी संख्या आवंटित है।

स्कूल चलो अभियान की हर दिन समीक्षा हो रही है, जिलों से पूछा जा रहा है कि उनके यहां कितने छात्र-छात्राओं को प्रवेश मिला। निर्देश है कि सभी का ब्योरा प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड कराएं, तभी नामांकन माना जाएगा। इस पोर्टल पर बच्चे का आधार अनिवार्य है, यदि नहीं बना है तो तत्काल बनाने के निर्देश हैं। साथ ही आधार अपलोड होते ही उसका सत्यापन भी हो रहा है। सोमवार तक जिलों में छह लाख से अधिक बच्चों का नामांकन हो चुका है। ज्ञात हो कि पिछले शैक्षिक सत्र में 1.80 करोड़ छात्र-छात्राओं का नामांकन था। इस बार बीस लाख से अधिक नए बच्चों को प्रवेश देने की तैयारी है।

1.58 करोड़ को ही भेजा जा सका धनः बेसिक शिक्षा विभाग ने पिछले शैक्षिक सत्र में 1.58 करोड़ बच्चों के अभिभावकों के खाते में यूनीफार्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा व स्वेटर के लिए 1100-1100 रुपये भेजे थे, बाकी अभिभावकों के खाते आधार से लिंक न होने की वजह से धन नहीं जा सका। यह भी कहा जा रहा है कि बाकी संख्या फर्जी भी हो सकती है।

स्कूल चलो, रोज आओ और पढ़ोः बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने कहा है कि स्कूल चलो अभियान के साथ ही शिक्षक बच्चों को प्रेरित करें कि वे प्रतिदिन विद्यालय आएं और पूरे समय पढ़ाई हो। अभियान को सफल बनाने के लिए शिक्षक घर-घर जाएं और अधिकारी भी नियमित मानीटरिंग करें।