शिक्षकों ने भी मांगी निशुल्क इलाज की सुविधा, संगठनों ने प्रीमियम आधारित सुविधा शुरू करने की तैयारी को बताया गलत


लखनऊ। परिषदीय व राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने सरकार से राज्य कर्मचारियों की भांति कैशलेस इलाज की सुविधा देने की मांग की है। इस संबंध में शिक्षक संगठनों ने आवाज उठाई है।


दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग भी शिक्षकों को कैशलेस इलाज की सुविधा देने की तैयारी कर रहा है,लेकिन यह सुविधा बीमा आधारित होगी। यानी उसका प्रीमियम शिक्षकों से ही वसूला जाएगा। शिक्षक संगठन इसे अनुचित बता रहे हैं। उप्र बेसिक शिक्षक संघ के प्रदेश
अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा कहते हैं कि सरकार जब राज्य कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा दे रही है। तो शिक्षकों के साथ क्यों भेदभाव कर रही है। वे कहते हैं कि विभाग प्रीमियम आधारित जो सुविधा देने जा रहा है, उसमें शिक्षकों का क्या फायदा? राजकीय शिक्षक संघ की अध्यक्ष छाया शुक्ला कहती हैं कि सरकार जब कोई लाभ देने की बात होती है तो राजकीय शिक्षकों को राज्य कर्मचारी नहीं मानती। लेकिन जब कोई काम कराना हो तो राज्य कर्मचारी की भांति नियम लागू हो जाते हैं। यह दोहरा व्यवहार बंद होना चाहिए.


यह है प्रस्तावित योजना

बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों व शिक्षामित्रों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने के लिए ई निविदा प्रकाशित की है। इसमें तीन, पांच, सात व दस लाख रुपये की बीमा दरें मांगी गई हैं। प्रीमियम तय होते ही योजना लागू करने की तैयारी है।