हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में आरक्षण की अधिसूचना पर मंगलवार तक के लिए रोक लगा दी है। नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए जनहित याचिका दाखिल की गई है।
न्यायालय ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें लगता है कि यदि राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो 5 दिसम्बर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जब ट्रिपल टेस्ट औपचारिकता को पूरा कर लिया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया। न्यायालय ने अधिसूचना के साथ-साथ नोटिफिकेशन पर भी रोक लगा दी।
क्या है ट्रिपल टेस्ट
शीर्ष अदालत ने सुरेश महाजन मामले में आदेश दिया था कि ट्रिपल टेस्ट के तहत स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा जो निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति की जांच करेगा, तत्पश्चात ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को प्रस्तावित करेगा तथा सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो।
ओबीसी आरक्षण में सर्वाधिक आपत्तियां
लखनऊ। महापौर व अध्यक्ष सीटों और वार्डों के आरक्षण की जारी अनंतिम अधिसूचना पर सबसे अधिक आपत्तियां पिछड़ी जाति को लेकर आई हैं। आरक्षण पर आपत्ति व सुझाव देने के अंतिम दिन सोमवार को अधिकारी पूरे दिन आपत्तियों को श्रेणीवार छांटने में जुटे रहे।