सदन में फिर उठा शिक्षामित्रों और वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय का मुद्दा



लखनऊ। विधान परिषद में शिक्षामित्रों और वित्तविहीन शिक्षकों के मानदेय का मुद्दा फिर प्रमुखता से उठा। सपा सदस्यों ने शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताई तो सत्ता पक्ष ने आरोपों को निराधार बताते हुए शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार सुधार की बात कही।


कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए सपा ने राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी,एडेड विद्यालयों के जर्जर भवन और मदरसों के आधुनिक शिक्षकों का वेतन रुके होने का मुद्दा उठाया। सपा दल के नेता लाल बिहारी यादव ने कहा कि वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय न मिलने व परिषदीय स्कूलों में समय से पाठ्य पुस्तकें न मिलने का मुद्दा उठाया। इसके जवाब में माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने कहा कि वित्त विहीन शिक्षकों को वेतन देने की व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन के स्तर से होती है। भाजपा के दिनेश शर्मा ने कहा कि योगी सरकार में शिक्षा का स्तर लगातार ऊपर उठ रहा है। बसपा के भीमराव अंबेडकर ने शिक्षामित्रों का मानदेय न्यूनतम 40 हजार रुपये प्रतिमाह करने की मांग उठाई। निर्दल आकाश अग्रवाल ने शिक्षकों को परीक्षा की कॉपियों की जांच और ड्यूटी के पारिश्रमिक का भुगतान न होने का मुद्दा उठाया। इस पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रत्येक वर्ष इस मद में समुचित राशि का प्रबंध कर भुगतान किया जा रहा है। जो शिक्षक बचे हैं, उन्हें शीघ्र ही भुगतान हो जाएगा।