लखनऊ। राज्य कर्मचारियों ने जिस कैशलेस चिकित्सा सुविधा के लिए कई वर्षों तक आंदोलन किया, अब उसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अभी तक सिर्फ 17 फीसदी कर्मचारियों और पेंशनरों ने ही इसके लिए आवेदन किया है। जबकि आवेदकों को तत्काल राज्य स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है। चालू सत्र में कुल 19 लाख में से सिर्फ 3,437 कर्मचारी व पेंशनरों ने योजना का लाभ लिया है। शासन ने इसके लिए 80 करोड़ रुपये का बजट जारी किया है।
सरकार ने सात जनवरी 2022 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना शुरू की थी। इसके लिए कर्मचारियों को योजना के पोर्टल अथवा विभागीय पोर्टल पर दिए लिंक पर जाकर आवेदन करना होता है। कर्मचारियों के आवेदन को डीडीओ और पेंशनरों के आवेदन को ट्रेजरी आफिसर प्रमाणित कर स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंट्रीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) भेजते हैं। वहां से इन्हें स्वास्थ्य कार्ड जारी होता है इसके जरिए वे सभी सरकारी और पैनल में शामिल निजी अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं। इसके बावजूद कर्मचारी व पेंशनर इस योजना में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। वे योजना में कोई न कोई खामी बताकर आवेदन नहीं कर रहे हैं। अभी तक सिर्फ तीन लाख 24 हजार 145 कर्मचारियों व पेंशनरों ने ही आवेदन किया। यह इनकी कुल संख्या का महज 17 फीसदी है। अब तक आए आवेदनों में से तीन लाख 21 हजार 886 को राज्य स्वास्थ्य कार्ड जारी हो चुका है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी विभागों को पत्र लिखकर जल्द से जल्द आवेदन की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए कहा है.
कम आवेदन की वजह है चिकित्सा शुल्क प्रतिपूर्ति व्यवस्था सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों का जोर चिकित्सा शुल्क प्रतिपूर्ति पर है और अभी यह व्यवस्था चल रही है। ऐसे में वे राज्य स्वास्थ्य कार्ड के जरिए कैशलेस इलाज के बजाय प्रतिपूर्ति लेने में ज्यादा रुचि रखते हैं। इसलिए वे कैशलेस योजना में आवेदन नहीं कर रहे हैं। कर्मचारी भी दबी जुबान से इसे स्वीकार करते हैं। वहीं, यह आरोप लग रहे हैं कि तमाम कर्मचारी प्रतिपूर्ति की सुविधा में धांधली भी कर रहे हैं.
सरकारी अस्पतालों में पहुंचे सिर्फ 117 कर्मचारी और पेंशनर
राज्य स्वास्थ्य कार्ड माध्यम से राज्य कर्मचारियों, पेंशनरों व उनके आश्रितों को सभी सरकारी अस्पतालों और आयुष्मान भारत में पंजीकृत निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा है। वे पांच लाख रुपये तक का इलाज निशुल्क करा सकते हैं। इससे अधिक का बिल होने पर अतिरिक्त बिल की प्रतिपूर्ति देने की व्यवस्था है। इसके बाद भी 23 मार्च 2023 तक सिर्फ 117 कर्मचारी ही सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचे हैं। जबकि 3,320 कर्मचारियों ने निजी अस्पताल में इलाज कराया है। इनके इलाज पर योजना में 5.14 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
समस्या हो तो यहां संपर्क करें
अगर किसी को कैशलेस कार्ड के लिए आवेदन करने में कोई समस्या आ रही हो तो वे हेल्पलाइन नंबर 1800-1800-4444 और ईमेल upsects@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
ज्यादातर कार्ड जारी
अब तक आए आवेदनों में ज्यादातर का कार्ड जारी कर दिया गया है। करीब तीन हजार कार्ड जारी होने की प्रक्रिया में है। योजना में सभी तरह के इलाज की व्यवस्था है। इसमें सरकारी के साथ निजी और कॉरपोरेट अस्पताल भी शामिल: किए गए हैं। संगीता सिंह, सीईओ साचीज
क्या कहते हैं कर्मचारी नेता
कर्मचारी आवेदन कर रहे हैं. लेकिन पेंशनरों को समस्या हो रही है। कोशिश है कि सबके हेल्थकार्ड बन जाएं। इसके लिए बैठक में संदेश दिया गया है। जेएन तिवारी, अध्यक्ष राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद
ग्रामीण इलाके के कर्मचारी और पेंशनर आवेदन नहीं कर पाए हैं। संगठन उन्हें आवेदन के लिए जागरूक कर रहा है। जिन्हें आवेदन करने में समस्या है, उनकी मदद संगठन कर रहा है अतुल मिश्र, राष्ट्रीय सचिव, इप्सेफ