बदायूं/उघैती। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिये सरकार की ओर से ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी, स्वेटर खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से भेजी गयी रकम 40 फीसदी अभिभावकों ने निजी काम में खर्च कर ली है। ऐसे में अब तक बच्चों के लिये ड्रेस समेत अन्य सामग्री नहीं खरीदी जा सकी है।
प्रदेश सरकार ने अगस्त माह में परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों एवं उनके अभिभावकों के खाते में ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी, स्वेटर खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से 1200-1200 रुपये ट्रांसफर कराये थे। जनपद में डीबीटी की रकम 3.19 लाख बच्चों एवं उनके अभिभावकों के खाते में आयी। जिनमें से 60 फीसदी अभिभावकों ने तो बच्चों के लिये डीबीटी के माध्यम से प्राप्त रकम से ड्रेस, जूता, मोजा, स्टेशनरी खरीद दी, लेकिन 40 फीसदी अभिभावकों ने अभी तक अपने बच्चों के लिये ड्रेस नहीं खरीदी और डीबीटी के माध्यम से प्राप्त रकम के लिये धान की फसल में लागत के रूप में इस्तेमाल कर लिया। किसी ने डीबीटी की रकम से धान की फसल में खाद लगायी तो किसी ने फसल में घास न उगने की दवायें लगायीं। अब अभिभावक बच्चों के लिये ड्रेस नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे में बच्चे बिना ड्रेस के ही स्कूल जाते हैं। शिक्षकों द्वारा बच्चों के लिये स्कूल ड्रेस में आने का दवाब बनाया जा रहा है। बीएसए स्वाती भारती ने बताया कि डीबीटी होने के बाद अधिकांश अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिये ड्रेस खरीद दी है, वहीं जो अभिभावक बच्चों को ड्रेस नहीं दिला पाये हैं, उनसे शिक्षकों के माध्यम से बच्चों के लिये ड्रेस दिलाने के लिये कहा जा रहा है।
दूसरे कपड़ों में दिखते बच्चे
ड्रेस वाले बच्चों में बिना ड्रेस वाले बच्चे दूसरे रंगों के कपड़ों में दिखते हैं। इन बच्चों पर शिक्षकों द्वारा रोजाना प्रार्थना सभा में ड्रेस में आने के लिये कहा जाता है। बच्चे भी घर पर अभिभावकों से ड्रेस खरीदने की कहते हैं, लेकिन अभिभावक बच्चों के लिये धान की फसल उठने पर ड्रेस खरीदने का भरोसा दिला देते हैं।
जनपद में कुल 2155 स्कूल
जिले में परिषदीय विद्यालयों की कुल संख्या 2155 हैं। इन स्कूलों में 3.69 लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं। सरकार इन बच्चों के लिये मिड-डे मील उपलब्ध कराने के साथ ही मुफ्त में किताबें भी उपलब्ध करायी जाती हैं और ड्रेस समेत अन्य सामान खरीदने के लिये डीबीटी के माध्यम से खातों में रकम ट्रांसफर करायी जाती है।