कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूटा पसीना

 

सीतापुर , परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले के नए नियम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में शिक्षकों को लक्ष्य हासिल कर पाना और स्कूल में नामांकन बढ़ाना चुनौती पूर्ण हो गया है। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश करने में शिक्षक स्टॉफ को पसीना छूट रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम जारी की गई गाइड लाइन के तहत छह वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी निजी स्कूल प्री-नर्सरी कक्षा पांच व इससे कम उम्र के बच्चों को प्रवेश दे रहे है। 






निजी स्कूलों की भरमार के कारण परिषदीय स्कूलों में हर साल नामांकन में कमी देखने को मिल रही थी। इस कारण शिक्षकों को एक-एक नामांकन के लिए जोर लगाना होता था। शैक्षिक सत्र 2024-25 शुरू होते ही इससे नए शिक्षा सत्र में भी अपेक्षित प्रवेश होना मुश्किल लग रहा है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया तो शुरू गई है। लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओं को कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के उम्र वाले बच्चे ढूंढे नहीं मिल पा रहे है। इसको लेकर शिक्षक व ग्राम प्रधानों के सम्पर्क में रहकर अभिभावकों से मिलकर नामांकन अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। वहीं परिषदीय विद्यालय में पहुँचने पर छह वर्ष की आयु पूरी होने पर ही बच्चों 







को प्रवेश दिए जाने की बाध्यता बताकर शिक्षक हाथ खड़े कर देते है। इसलिए विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। जिससे परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक के बच्चों की संख्या पूरी कर पाना शिक्षकों के लिए सीधे टेढी खीर बनता जा रहा है। वहीं शिक्षकों के मुताबिक की पिछले सत्र में छह वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के प्रवेश कर लिए गए थे। जिससे इस बार भी निर्धारित उम्र के बच्चे गाँवो में नहीं मिल पा रहे है। अभिभावक भी चिंतित है की पांच वर्ष की उम्र पूरी होते ही हरहाल में बच्चों को विद्यालय भेजना चाहते है। लेकिन नए सत्र में जारी हुई गाइडलाइन के तहत बच्चों की उम्र पांच से बढ़ाकर छह वर्ष तक उम्र वाले बच्चों के परिषदीय विद्यालयों प्रवेश करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए। इसको लेकर पूरी कर चुके पांच वर्ष की आयु वाले बच्चों का अभिभावक परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश न कराकर प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश करा रहे है। ताकि बच्चों की एक वर्ष की पढ़ाई बाधित न हो।