प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के रजनेश बनाम नेहा केस का हवाला देते हुए कहा कि गुजारा भत्ता आदेश देने से पहले पति-पत्नी की आय और व्यय के ब्योरे का हलफनामा लेकर आदेश जारी करें। कहा कि इस आदेश की अधिकांश परिवार अदालतों की ओर से अवहेलना करने की प्रवृत्ति ठीक नहीं। कोर्ट ने प्रदेश के सभी प्रधान परिवार न्यायाधीशों से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्मल कुमार फूकन की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। अधिवक्ता सुनील कुमार ने बहस की।
मामले में परिवार अदालत औरैया की ओर से पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश को पति ने पुनरीक्षण याचिका दायर कर चुनौती दी। इस पर कोर्ट ने पति-पत्नी दोनों को अपनी संपत्ति व जिम्मेदारी के व्योरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
दिया है। सरकारी वकील ने दलील दी कि परिवार अदालत ने बिना आय व्यय का दोनों पक्षों से ब्योरा लिए गुजारा भत्ता का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। कहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी संबंधित अदालतों को भेजा गया है। प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए हैं।
इस पर कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत औरैया सहित सभी परिवार अदालतों से सील कवर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सफाई भी मांगी है कि अदालतें आदेश को क्यों समझ नहीं पा रही हैं। मामले में अगली सुनवाई 10
जून को होगी