याची बोला... रामायण कार्यशाला वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर हमला
याची ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता व जागरूक नागरिक बताया। संविधान के अनुच्छेद 51ए (एच) का जिक्र कर कहा कि रामायण कार्यशाला वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर हमला है। यह न केवल सांविधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि जातिगत, लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाली कार्यशाला है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की पहचान है। लिहाजा, स्कूलों में धार्मिक कार्यशाला का आयोजन नहीं किया जाना चाहिए।
यूपी सरकार की दलील...
ऐसी कार्यशाला के जरिये बच्चों में सांस्कृतिक, संस्कार व कला के प्रति रुचि बढ़ाई जाएगी। बच्चों का नैतिक विकास होगा। प्रभु श्रीराम के आदशों से नई पीढ़ी परिचित होगी।
कोर्ट ने याची की विधिक हैसियत पर उठाए सवाल
कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। कहा कि याची अपनी विधिक हैसियत साबित करने में विफल रहा। याची यह भी नहीं बता सका कि अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या का प्रश्नगत आदेश उसे कैसे मिला है।