03 May 2025

कमाई का सबूत न हो तो पति भी पत्नी पर आश्रित माना जाएगा, मिलेगा मुआवज़ाः SC




 

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी महिला के पति को सिर्फ इस वजह से आश्रित मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक सक्षम पुरुष है। अगर यह सावित नहीं होता कि पति खुद कमाता है, तो माना जा सकता है कि वह अपनी पत्नी की आमदनी पर निर्भर था।



यह फैसला जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की वेंच ने 29 अप्रैल को सुनाया। मामला 22 फरवरी 2015 की एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा है, जिसमें एक महिला वाइक पर पीछे बैठी थी। हादसे में वह गिरकर घायल हो गई और दो दिन बाद उसकी मौत हो गई। महिला के पति और दो वच्चों ने मुआवजा मांगा था। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने फैसला दिया था कि सिर्फ वच्चे आश्रित है, पति नहीं, क्योकि वह 40 साल का सक्षम व्यक्ति है। वीमा कंपनी ने इस पर आपत्ति जताई और मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने पति और दोनों वच्चों को आश्रित मानते हुए कुल 17 लाख 84 हजार रुपये मुआवजा तय किया। इस फैसले से साफ है कि पति भी मुआवजे का हकदार हो सकता है, अगर वह पत्नी की कमाई पर निर्भर था।






तो इसलिए मुआवजा है जरूरी


सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में पहले कह चुका है कि सड़क हादसे में मुआवजा मृतक पर आर्थिक तौर पर निर्भर हर मेंबर को मिलेगा और इस मामले में कानूनी रिप्रजेंटेटिव की संकीर्ण व्याख्या नहीं की जा सकती है। जो लोग आर्थिक तौर पर मृतक पर निर्भर थे उन्हें दावेदारों की कैटिगरी से बाहर नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि Motor Vehicle Act के तहत कानूनी प्रतिनिधि शब्द की व्याख्या इतनी संकीर्ण नहीं होनी चाहिए। यदि दावेदार मृतक की आय पर निर्भर थे, तो उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसी कड़ी में मौजूदा फैसला भी अहम है।