यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाएं जांचने वाले शिक्षकों की लापरवाही का आलम यह है कि छात्र-छात्राओं का भविष्य संकट में पड़ जाए। मानदेय के चंद रुपये के लिए हड़बड़ी में कॉपी जांचने वाले शिक्षकों ने परीक्षा में दस नंबर तक कम कर दिए। इन परीक्षार्थियों के आवेदन पर स्क्रूटनी (सन्निरीक्षा) में शिक्षकों की लापरवाही का खुलासा हुआ है।
यूपी बोर्ड के प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन जिले से हाईस्कूल परीक्षा में सम्मिलित एक छात्र को अंग्रेजी में 35 नंबर मिलने चाहिए थे लेकिन परीक्षक ने उत्तरपुस्तिका पर 25 अंक ही चढ़ाए थे। इसी प्रकार सामाजिक विषय में 36 नंबर पाने वाले को कॉपी पर 28 नंबर दिए गए थे। चित्रकला में एक छात्र को 39 अंक मिलने चाहिए थे लेकिन परीक्षक ने 29 नंबर ही दिए थे।
एक अन्य छात्र को अंग्रेजी में 41 की बजाय 31 नंबर दिए थे। स्क्रूटनी के बाद इन सभी के अंक बढ़ गए। इसी प्रकार इंटर में एक छात्र को गणित में 44 नंबर मिलने चाहिए थे लेकिन परीक्षक ने 34 अंक ही दिए थे। सामान्य हिन्दी में एक छात्र को 75 नंबर मिलने चाहिए थे लेकिन 66 अंक ही कॉपी पर चढ़ाए गए थे।
इस मामले में यूपी बोर्ड के सचिव भगवती सिंह का कहना है कि लापरवही बरतने वाले शिक्षकों को अगली परीक्षा में मूल्यांकन से डिबार किया जाएगा।
लगभग हर पांचवें विद्यार्थी के अंकों में हुआ बदलाव
इस साल हाईस्कूल में 5495 और इंटरमीडिएट में 25,699 समेत कुल 31,194 छात्र-छात्राओं ने स्क्रूटनी के लिए आवेदन किया था। इनमें से क्रमश: 815 और 5131 कुल 5946 (19.06 प्रतिशत) या लगभग हर पांचवें परीक्षार्थी के अंकों में वृद्धि या कमी हुई है। स्क्रूटनी का परिणाम सात जुलाई को घोषित हुआ था।