नमस्कार साथियों,
आज की कोर्ट कार्यवाही का संक्षिप्त विवरण आपके समक्ष रख रहा हूँ:
🕙सुबह 10:20 बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई।
सबसे पहले ICICI बैंक का एक ऋण संबंधित मामला चला, जो लगभग 11:35 बजे समाप्त हुआ।
📌इसके बाद हमारी याचिका SPLA 222/2025 पर गौरव सर ने बहस की शुरुआत की।
परंतु डॉ साहब ने आग्रह कर पहले जिरह की और बहस का केंद्र केवल RTE Act 2009 और ‘Neighbourhood’ की परिभाषा पर रखा।
चीफ जस्टिस ने इस पर टिप्पणी की कि “practicality पर आइए”, जबकि हम जानते हैं कि यहां statutory rules का हवाला देना अपेक्षित था, लेकिन डॉ साहब ने बात को घुमा दिया।
➡️कुल मिलाकर, कार्यवाही संतोषजनक रही। किसी की आलोचना नहीं कर रहा हूँ, परंतु सत्य कह रहा हूँ।
🕝दोपहर 2:35 पर गौरव सर ने दोबारा बहस शुरू की।
उन्होंने Article 51A से शुरू कर शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की पृष्ठभूमि (उन्नी कृष्णन मामला और 86वां संविधान संशोधन) को स्पष्ट किया।
इसके बाद उन्होंने एकल पीठ के निर्णयों में हुई त्रुटियों को चिन्हित करते हुए बताया कि RTE Act की धारा 35 के अनुसार सरकार नीति लागू नहीं कर सकती जबकि NEP केवल कैबिनेट निर्णय है, अधिनियम नहीं।
👨🏫Section 3 और 6 पर बहस के दौरान कोर्ट ने neighbourhood की परिभाषा मांगी, जिस पर राजस्थान के न्यायालयों के उदाहरण दिए गए।
📍जब गौरव सर ने विद्यालयों की दूरी का मुद्दा उठाया, तो स्टेट ने हाल में दाखिल Leave to File Appeal दिखाते हुए कहा कि “यह पक्ष झूठ बोल रहा है।”
इस पर गौरव सर ने तुरंत कहा कि यह मेरी ओर से नहीं, बल्कि supplementary दाखिल किया गया है, जिसमें मछरेहटा BEO ने विद्यालयों की संख्या बढ़ाने की बात कही है – इसका कारण यही है कि विद्यालय दूर होने के कारण बच्चे पढ़ाई छोड़ रहे हैं।
📰हमने मीडिया रिपोर्ट्स भी on record रखीं – हालांकि वे admissible नहीं हैं, लेकिन संदर्भ के रूप में दिखाई गईं@।
अंत में compilation और समस्त citations दाखिल कर दिए गए।
📣इसके पश्चात हिमांशु राघवे जी ने दिव्यांग बच्चों की ओर से बहस की, परंतु कोर्ट ने बस इतना पूछा – “क्या कुछ नया है?”
जब उन्होंने कहा कि पहले 900 मीटर वाला विद्यालय निकट था, अब दूर हो गया है – तो कोर्ट ने रुचि नहीं दिखाई। इससे प्रतीत हुआ कि पूरी तैयारी नहीं थी।
👶🏻स्टेट ने अपने पक्ष में केवल आंगनबाड़ी का सहारा लिया, यह कहकर कि विद्यालय बंद नहीं हो रहे हैं।
इस पर गौरव सर ने कहा कि “ऑन रिकॉर्ड काउंटर देख लीजिए।”
🔕आज कोर्ट की कार्यवाही अपेक्षाकृत शांत रही। कारण स्पष्ट नहीं, परंतु यह जरूर कहूँगा कि बिना रिकार्ड के मुकदमे फाइनल हो रहे हैं, यह बहुत अचंभित करने वाली बात है।
🚨सबसे जरूरी बात:
👉कोर्ट के बाहर बैठे लोग कुछ भी कह सकते हैं – गप, भ्रम या अर्धसत्य।
परंतु विश्वास कीजिए उसी पर जो अंदर लड़ रहा है।
👉जो पागलपन की हद तक मेहनत कर रहे हैं, वही सत्य को सामने ला रहे हैं – जजमेंट बताएगा कि किसने क्या कहा, किसने क्या किया।
💡याद रखें, ये लड़ाई एक दिन की नहीं है – लंबी लड़ाई है।
किसी वकील ने क्या कहा, क्या नहीं कहा – सब कुछ आदेशों में आएगा, जैसे एकल पीठ के आदेश में आया था।
आपका संकल्प बना रहना चाहिए – क्योंकि यह लड़ाई बच्चों के भविष्य की है, और हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना है।
साभार:
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#हिमांशुराणा