नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची तैयार करने में मदद करने वाले बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) का वार्षिक पारिश्रमिक दोगुना कर दिया है। बूथ स्तर पर मतदाता सूची तैयार करने और उसे अपडेट करने में निर्वाचन आयोग की मदद करने वाले बीएलओ को अब उनके काम के लिए सालाना 6000 रुपये के बजाय 12,000 रुपये मिलेंगे। बीएलओ को 2015 से 6,000 रुपये सालाना मिल रहे थे।
बीएलओ ज्यादातर शिक्षक या राज्य सरकार के अन्य कर्मचारी होते हैं जो अपने संबंधित बूथ में मतदाताओं के नाम जोड़ने या हटाने
का काम करते हैं।
निर्वाचन आयोग के नए नियमों के अनुसार, एक बूथ पर 1,200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। इसके अलावा, आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए बीएलओ को 6,000 रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि देने को भी मंकूरी दी है।
इसकी शुरुआत बिहार से होगी, जहां यह कवायद जारी है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उसने बीएलओ पर्यवेक्षकों का पारिश्रमिक भी वर्तमान 12,000 रुपये प्रति वर्ष से
बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया है।
अब निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और सहायक ईआरओ (एईआरओ) को भी क्रम 30,000 रुपये और 25,000 रुपये प्रति वर्ष मानदेय दिया जाएगा। आयोग ने कहा, गलतियों से रहित मतदाता सूचियां लोकतंत्र की नींव हैं।
निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, सहायक मतदाता पंजीकरण अधिकारी, बीएलओ पर्यवेक्षक और बूथ स्तरीय अधिकारी, मतदाता सूची तंत्र कड़ी मेहनत करते हैं। निष्पक्ष एवं पारदर्शी मतदाता सूचियां तैयार करने में ये सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।