शिक्षामित्रों की बात मजबूती से रखने के लिए आपका धन्यवाद
उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों की असंतोषपूर्ण स्थिति और आंदोलन
उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों ने सरकार के खिलाफ गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्र 2001 में नियुक्त हुए थे, जब स्कूलों को शिक्षकों की आवश्यकता थी। उनके प्रशिक्षण और नियुक्ति के बाद उन्हें शिक्षक माना गया था। लेकिन अब सरकार की लापरवाही और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण उनकी स्थिति अत्यंत कमजोर हो गई है। पहले उन्हें 35-40 हजार रुपये वेतन मिलता था, जो बाद में अचानक घटाकर लगभग 10,000 रुपये महीने कर दिया गया।
शिक्षा मित्रों के अनुसार, जब प्रदेश के अन्य कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी हुई है, तब उनका वेतन स्थिर या घटाया गया है। उन्होंने कई प्रयास किए, जैसे आंदोलन और कमेटी गठन, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकला। कमेटी की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई और न ही उन्हें प्रमोशन मिला है। पुलिस ने भी उनके आंदोलन को दबाने के लिए टेंट और अन्य साधन हटाए हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी विपरीत हो गई है।
शिक्षा मित्रों ने यह भी कहा कि वे पूरी ईमानदारी से अपनी सेवाएं दे रहे हैं और छात्र अनुपात भी सुधारने में मदद कर रहे हैं। वेतन और सम्मान की मांग को लेकर वे लंबे समय से संघर्षरत हैं, लेकिन सरकार उनकी बात नहीं मान रही।
शिक्षा मित्रों की यह आवाज़ पूरे प्रदेश में गूंज रही है, जो सतत संघर्षरत हैं और जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे आंदोलन जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं।
यह संघर्ष न केवल शिक्षा मित्रों के लिए बल्कि पूरे शिक्षा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण अजेंडा बन गया है, जिसमें सरकार से न्याय और समुचित वेतन की मांग प्रमुख है।