आदेश से मैं बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं परंतु व्याख्या करनी बेहद जरूरी है |
सर्वप्रथम मैं पदोन्नति में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर कोर्ट में था जबकि अन्य राज्य जैसे मुख्यतः तमिलनाडु में आरटीआई एक्ट के पारित होने के बावजूद शिक्षकों ने न्यूनतम अहर्ता अर्जित नहीं की थी और समय समय पर पहले 2015 फिर 2019 तक उन्हें समय दिया गया को लेकर एक मामला पेंडिंग था जिसमें ये आदेश हुआ है।
माननीय न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता जी ने एक्ट के सेक्शन 23 (2) को संज्ञान में लेकर ये आदेश पारित किया है । जिसमें उन्होंने नवीन नियुक्ति में पदोन्नति और समायोजन को भी माना है कि किसी भी प्रकार का समायोजन या पदोन्नति एक नवीन नियुक्ति है इसलिए आपको टीईटी कारण ही होगा । Para 192
इसके अलावा ऐसे शिक्षक जिनकी पांच वर्ष की सेवा शेष है उन्हें टीईटी से छूट दी गई है वरना शेष शिक्षकों को टीईटी दो वर्ष में करना होगा और सबसे अधिक इस आदेश में मेरे लिए harsh ये है कि जो शिक्षक कभी भी नियुक्त हुआ हो यानी 2010 से पूर्व में भी उन्हें टीईटी देनी होगी जो कि सरासर गलत है क्योंकि जब एक्ट का नोटिफिकेशन आया था उसमें लिखा था those *teachers who were appointed prior to the enactment of the act will not have to qualify tet*
इस आदेश से हम सहमत नहीं हैं और इसका legal impediment देख रहे हैं कि क्या हो सके परंतु यहां एक बात कहना नितांत आवश्यक है कि केंद्र सरकार को इस पर स्टैंड लेना ही होगा वरना लाखों लाख शिक्षकों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह उठ जाएगा।
#rana