हमारी समायोजन याचिका का आधार स्पष्ट है — सरकार द्वारा किया जा रहा समायोजन न तो RTE अधिनियम के अनुरूप है और न ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की धारा 7.1 की सही भावना के अनुसार।
NEP में यह उल्लेख है कि देश में लाखों सिंगल-टीचर स्कूल हैं, इसी कारण सरकार ने समायोजन (Rational Deployment) नीति लागू की, लेकिन इसके परिणामस्वरूप विद्यालय खाली हो गए और शिक्षा व्यवस्था बाधित हुई।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने नियमों से परे जाकर प्रधानाध्यापकों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बना दिया, जो कि पूर्णतः अवैध एवं मनमाना कदम है।
इसी कारण हमारी टीम ने समूचे समायोजन को चुनौती दी है। इस मामले की सुनवाई 25 सितम्बर को पदोन्नति याचिका के साथ होगी, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द नन्दन एवं अधिवक्ता अनिन्द्य शास्त्री उपस्थित रहेंगे।
जब समायोजन हो रहा था, कुछ लोग कह रहे थे कि नियम 21 के अनुसार यह स्वेच्छा से सम्भव है, पर हमने कहा था कि यह RTE के खिलाफ है। आज BSA सुल्तानपुर (हमारी याचिका के मुख्य याची अवेश विक्रम सिंह का जिला) ने आदेश जारी करके साफ कर दिया कि विद्यालय एकल (Single Teacher) नहीं होने चाहिए।
अब वही लोग, जो पहले शिक्षकों को गुमराह कर रहे थे और सोशल मीडिया पर लम्बी-लम्बी पोस्ट डालते थे, उनकी हकीकत उजागर हो चुकी है। न तो उनके अधिवक्ता न्यायालय तक जाते हैं और न ही वे शिक्षकों के वास्तविक हित में लड़ते हैं।
हमने कहा था कि जो भी चीज़ शिक्षकों के हित में नहीं होगी, उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। इसी कारण समायोजन, पदोन्नति और मर्जर—तीनों मुद्दों पर हम लगातार कार्य कर रहे हैं।
मूल उद्देश्य है सचिव स्तर से ऐसे office order निकलवाना 🙏🏻
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